Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत पर शिवलिंग पर चढ़ाएं ये खास वस्तुएं, धन दौलत में होगी वृद्धि
प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) भगवान शिव को समर्पित एक शुभ दिन है, जो हर माह की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जो साधक इस दिन सच्चे मन से पूजा-पाठ करते हैं और व्रत रखते हैं, उन्हें जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत पर करें ये काम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक शुभ व्रत है, जो हर माह की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा का महत्व है। माना जाता है कि जो साधक इस दिन सच्चे भाव से पूजा-पाठ करते हैं उनके ऊपर भगवान शिव की कृपा सदैव के लिए बनी रहती है। वहीं, इस दिन शिवलिंग पर कुछ विशेष वस्तुएं अर्पित करने से महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं, जिससे भक्तों के धन, दौलत, सुख और समृद्धि में अपार वृद्धि होती है। नवंबर 2025 का दूसरा प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) 17 नवंबर को रखा जाएगा, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि शिवलिंग पर इस दिन क्या चढ़ाएं?
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शिवलिंग पर चढ़ाएं ये 7 खास वस्तुएं (Offer These 7 Special Items To The Shivling)
- कच्चा दूध - शिवलिंग पर गाय का शुद्ध कच्चा दूध अर्पित करने से मानसिक शांति मिलती है और पैसों से जुड़ी रुकावटें दूर होती हैं। अगर सोम प्रदोष हो, तो यह और भी शुभ माना जाता है।
- दही - दही से अभिषेक करने पर जीवन में स्थिरता आती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
- शहद - शिवलिंग पर शहद अर्पित करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही इसे चढ़ाने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
- बिल्व पत्र - बिल्व पत्र भगवान शिव को सबसे प्रिय है। धन-समृद्धि की कामना के लिए तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्र शिवलिंग पर उल्टा अर्पित करें।
- गन्ने का रस - प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक करने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। साथ ही सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- काले तिल - शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है और रुके हुए धन की प्राप्ति होती है।
- अक्षत - शिवलिंग पर अक्षत चढ़ाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही धन के भंडार हमेशा भरे रहते हैं।
प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat 2025 Puja Ritual)
- प्रदोष काल शुरू होने से पहले दोबारा स्नान करें।
- शिवलिंग पर गंगाजल, फिर दूध, दही, शहद, और गन्ने के रस से बारी-बारी अभिषेक करें।
- शुद्ध जल अर्पित करें और 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
- बिल्व पत्र, धतूरा, भांग और अन्य विशेष वस्तुएं अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाकर शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें, अंत में आरती करें।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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