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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत की पूजा में करें नटराज स्तुति का पाठ, शिव जी बरसाएंगे कृपा

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 07:00 PM (IST)

    भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत पुरुषों और महिलाओं दोनों ही द्वारा किया जाता है। पुराणों में भी प्रदोष व्रत का महात्म्य बताया गया है जिससे साधक के जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो सकते हैं। इस बार आश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत शुक्रवार 19 सितंबर को किया जाएगा। शुक्रवार के दिन पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत भी कह सकते हैं।

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    Pradosh Vrat 2025 इस तरह करें शिव जी कृपा प्राप्त।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2025) किया जाता है। इस प्रकार यह व्रत हर महीने में दो बार किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। ऐसे में आप इस दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान नटराज स्तुति का पाठ कर सकते हैं। इससे आपको महादेव और माता पार्वती की कृपा की प्राप्ति हो सकती है। चलिए पढ़ते हैं नटराज स्तुति।

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    नटराज स्तुति (Natraj Stuti)

    सत सृष्टि तांडव रचयिता

    नटराज राज नमो नमः ।

    हे आद्य गुरु शंकर पिता

    नटराज राज नमो नमः ॥

    गंभीर नाद मृदंगना

    धबके उरे ब्रह्माडना ।

    नित होत नाद प्रचंडना

    नटराज राज नमो नमः ॥

    शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा

    चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां ।

    विषनाग माला कंठ मां

    नटराज राज नमो नमः ॥

    तवशक्ति वामांगे स्थिता

    हे चंद्रिका अपराजिता ।

    चहु वेद गाए संहिता

    नटराज राज नमोः ॥

    पूजा में जरूर करें ये काम

    शुक्र प्रदोष व्रत के दिन पूजा का मुहूर्त शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात 8 बजकर 43 मिनट तक रहने वाला है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत रूप से पूजा करनी चाहिए। साथ ही आप भगवान शिव को बिल्व पत्र, धतूरा, भांग, दूध, दही, शहद, घी और जल अर्पित करें। पूजा करते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप भी जरूर करना चाहिए। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं और साधक पर अपनी दया दृष्टि बनाएं रखते हैं।

    (Picture Credit: Freepik)

    शिव जी के मंत्र

    प्रदोष व्रत की पूजा में शिव जी के मंत्रों का जप भी जरूर करना चाहिए। इससे साधक को प्रदोष व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सकता है। 

    1. ॐ नमः शिवाय

    2. रूद्र मंत्र -

    ॐ नमो भगवते रूद्राय नमः

    3. शिव गायत्री मंत्र -

    ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात

    4. महामृत्युंजय मंत्र -

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्

    5. कर्पूरगौरं करुणावतारं

    संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।

    सदावसन्तं हृदयारविन्दे

    भवं भवानीसहितं नमामि ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।