Pradosh Vrat 2025: शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय करें इस स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी होगी दूर
शिव पुराण में प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat 2025) की महिमा का वर्णन है। इस व्रत को करने से साधक के जन्म-जन्मांतर में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साधक की विशेष मनोकामना पूरी होती है। साधक श्रद्धा भाव से प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करते हैं। साथ ही पूजा के बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव और जगत की देवी मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव के निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत की महिमा का गुणगान शिव पुराण में विस्तारपूर्वक किया गया है। इस व्रत को करने से सुख और सौभग्य में वृद्धि होती है। वहीं, अविवाहित जातकों की शादी शीघ्र हो जाती है।
देवों के देव महादेव जलाभिषेक से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। इसके लिए ज्योतिष शिव पूजा के समय जलाभिषेक या रुद्राभिषेक करने की सलाह देते हैं। जलाभिषेक करने से देवों के देव महादेव प्रसन्न होते हैं। अपनी कृपा साधक पर बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक की हर एक मनोकामना पूरी हो जाती है। साथ ही दुख एवं गरीबी दूर हो जाती है। अगर आप भी आर्थिक तंगी से निजात पाना चाहते हैं, तो गुरु प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करें। वहीं, जलाभिषेक के समय दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
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दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय ।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।
मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय ।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिद्र्यनाशनम् ।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ॥
श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम्
शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो।
अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
कमल लोचन राम दयानिधे,हर गुरो गजरक्षक गोपते।
शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
स्वजनरञ्जन मङ्गलमन्दिर,भजति तं पुरुषं परं पदम्।
भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं,शिवहरे विजयं कुरू मे वरम्॥
जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते,जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे।
जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
भवविमोचन माधव मापते,सुकवि-मानस हंस शिवारते।
जनक जारत माधव रक्षमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते,जलद सुन्दर राम रमापते।
निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
पतित-पावन-नाममयी लता,तव यशो विमलं परिगीयते।
तदपि माधव मां किमुपेक्षसे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
अमर तापर देव रमापते,विनयतस्तव नाम धनोपमम्।
मयि कथं करुणार्णव जायते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो,सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो।
मम विभो किमु विस्मरणं कृतं,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
नर हरेति परम् जन सुन्दरं,पठति यः शिवरामकृतस्तवम्।
विशति राम-रमा चरणाम्बुजे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥
प्रातरूथाय यो भक्त्या पठदेकाग्रमानसः।
विजयो जायते तस्य विष्णु सान्निध्यमाप्नुयात्॥
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