Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत के दिन इस मुहूर्त में करें महादेव की पूजा, जीवन की सभी समस्या होगी दूर
सनातन धर्म में महादेव की पूजा-अर्चना करने से सभी तरह के डर से छुटकारा मिलता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना संध्याकाल में की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार शिव जी की उपसना करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत को त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस शुभ तिथि पर महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विशेष चीजों का दान किया जाता है। ऐसा करने से शिव जी की कृपा से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और जॉब में सफलता मिलती है। इसके अलावा अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन सच्चे मन से शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है और सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरआत 26 जनवरी को रात 08 बजकर 54 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 27 जनवरी को रात 08 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 27 जनवरी को किया जाएगा। इस दिन पूजा करने से शुभ टाइम शाम 05 बजकर 56 मिनट से 08 बजकर 34 मिनट तक है।।
॥शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै न काराय नमः शिवाय॥1॥
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चितायनन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजितायतस्मै म काराय नमः शिवाय॥2॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजायतस्मै शि काराय नमः शिवाय्॥3॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनायतस्मै व काराय नमः शिवाय॥4॥
यक्षस्वरूपाय जटाधरायपिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बरायतस्मै य काराय नमः शिवाय॥5॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥6॥
॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम्। ॥
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शिव प्रार्थना मंत्र
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥
शिव गायत्री मंत्र
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।
शिव आरोग्य मंत्र
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
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