Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Pitru Paksha 2025: क्या पितृ पक्ष में पूर्वजों को देख पाना मुमकिन है? गरुड़ पुराण में छिपा है राज

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 05:00 PM (IST)

    हर साल पितृ पक्ष के बाद शारदीय नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान जगत की देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। वहीं पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में वर्णित है कि पितरों का तर्पण करने से पितरों की कृपा साधक पर बरसती है।

    Hero Image
    Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पितृ भूलोक यानी धरती पर वास करते हैं। इसके लिए पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। इस साल 08 सितंबर से लेकर 21 सितंबर तक पितृ पक्ष है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गरुड़ पुराण में वर्णित है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। वहीं, पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके लिए पितृ पक्ष के दौरान रोजाना श्रद्धाभाव से पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। लेकिन क्या पितृ पक्ष में पूर्वजों को देख पाना मुमकिन है? इस सवाल को लेकर सभी संशय में रहते हैं। आइए, इसके बारे में गरुड़ पुराण से जानते हैं-

    गरुड़ पुराण श्लोक

    श्लेष्माश्रु बान्धवैर्मुक्तं प्रेतो भुङ्क्ते यतोऽवशः ।

    अतो न रोदितव्यं हि तदा शोकान्निरर्थकात् ॥

    यदि वर्षसहस्त्राणि शोचतेऽहर्निशं नरः ।

    तथापि नैव निधनं गतो दृश्येत कर्हिचित् ॥

    जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्भुवं जन्म मृतस्य च ।

    तस्मादपरिहार्येऽर्थे न शोकं कारयेद् बुधः ॥

    न हि कश्चिदुपायोऽस्ति दैवो वा मानुषोऽपि वा ।

    यो हि मृत्युवशं प्राप्तो जन्तुः पुनरिहाव्रजेत् ॥

    अवश्यं भाविभावानां प्रतीकारो भवेद्यदि ।

    तदा दुःखैर्न युज्येरन् नलरामयुधिष्ठिराः ॥

    नायमत्यन्तसंवासः कस्यचित् केनचित् सह ।

    अपि स्वस्य शरीरेण किमुतान्यैः पृथग्जनैः ॥

    गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में पितृ के लिए रोने या आंसू बहाने की मनाही है। आसान शब्दों में कहें तो गरुड़ पुराण में स्पष्ट लिखा है कि पितरों के लिए रोना नहीं चाहिए। ऐसा करने से पितृ अश्रुपात (आंसू) का पान करते हैं। भगवान नारायण अपने वाहक गरुड़ जी से कहते हैं कि पितरों के लिए शोक नहीं करना चाहिए।

    अगर कोई व्यक्ति पितृ के लिए रोता है या वर्षों तक शोक करता है, तो भी उस व्यक्ति को मृत प्राणी यानी पितृ (life after death beliefs) दिखाई नहीं देगा। जिस व्यक्ति ने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित होगी। इसके लिए बुद्धिमान व्यक्ति को रोना नहीं चाहिए।

    इसके आगे भगवान विष्णु कहते हैं कि ऐसा कोई दैवीय या मानवीय उपाय नहीं है, जिसके द्वारा मृत व्यक्ति दोबारा से धरती पर आ सके। अगर ऐसा होता, तो भगवान राम, नल और युधिष्ठिर आदि दुख नहीं भोगते। इस जगत में सदा के लिए किसी का रहना संभव नहीं है और न ही कोई किसी के लिए अनंत काल तक रह सकता है।

    यह भी पढ़ें- Pitru Paksha 2025: कब और क्यों मनाया जाता है पितृ पक्ष? यहां जानें धार्मिक महत्व

    यह भी पढ़ें- Pitru Paksha 2025 Daan: पितृ पक्ष के दौरान जरूर करें इन चीजों का दान, बरसेगी पितरों की कृपा

    comedy show banner