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    Pausha Putrada Ekadashi 2024: कब है पौष पुत्रदा एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 27 Dec 2023 06:46 PM (IST)

    पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 20 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 21 जनवरी को संध्याकाल में 07 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। साधक 22 जनवरी को सुबह 07 बजकर 14 मिनट से लेकर 09 बजकर 21 मिनट के मध्य पूजा-पाठ कर पारण कर सकते हैं।

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    Pausha Putrada Ekadashi 2024: कब है पौष पुत्रदा एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pausha Putrada Ekadashi 2024: हर वर्ष पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। साल 2024 में पौष पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी को है। यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही निःसंतान साधकों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। आइए, पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 20 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 21 जनवरी को संध्याकाल में 07 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। साधक 22 जनवरी को सुबह 07 बजकर 14 मिनट से लेकर 09 बजकर 21 मिनट के मध्य पूजा-पाठ कर पारण कर सकते हैं।

    पूजा विधि

    साधक पौष पुत्रदा एकादशी तिथि पर ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु को प्रणाम करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें और पीले रंग का नवीन वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले भगवान भास्कर यानी सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है। अतः पीले रंग का फूल, फल और मिष्ठान अर्पित करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर सुख-समृद्धि, पुत्र प्राप्ति (निःसंतान साधक) और धन वृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। एकादशी तिथि पर जागरण करने का विधान है। अतः रात्रि में कम से कम एक प्रहर तक विष्णु जी का ध्यान अवश्य करें। अगले दिन स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ करें। इसके पश्चात, व्रत खोलें। इस समय जरूरतमंदों को दान अवश्य दें।

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।