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    December Pradosh Vrat 2025: 17 या 18 दिसंबर, कब है साल का अंतिम प्रदोष व्रत? जानें डेट से लेकर पूजा विधि

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 12:00 PM (IST)

    प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है, जो हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति और शिवजी का आशीर्वाद प् ...और पढ़ें

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    December Pradosh Vrat 2025: शिव पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। प्रदोष काल भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ और उत्तम माना जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से साधक की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। पंचांग के अनुसार, इस साल का अंतिम प्रदोष व्रत पौष महीने (Paush Pradosh Vrat 2025) के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पड़ रहा है। आइए इसकी डेट से लेकर पूजा विधि तक सभी बातें जानते हैं।

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    प्रदोष व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 16 दिसंबर को रात 11 बजकर 57 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 18 दिसंबर को रात 02 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में 17 दिसंबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

    • प्रदोष काल - शाम 05 बजकर 38 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक

    प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat 2025 Puja Rituals)

    • प्रदोष काल से पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
    • पूजा स्थान पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
    • शिवलिंग का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।
    • शिव जी को बिल्व पत्र, धतूरा, आक के फूल और सफेद चंदन अर्पित करें।
    • इस दिन शिव-पार्वती को खीर और गुड़ का भोग लगाएं।
    • रुद्राक्ष की माला से 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें।
    • प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें।
    • अंत में आरती करें।
    • पूजा में हुई सभी गलती के लिए माफी मांगे।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।