Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या पर जरूर करें अपने पितरों का तर्पण, नोट करें नियम और शुभ मुहूर्त
पौष अमावस्या (Paush Amavasya 2025) पितरों की उपासना के लिए विशेष मानी जाती है, जिसे 'छोटा पितृ पक्ष' भी कहते हैं। इस दिन तर्पण और दान करने से पितरों क ...और पढ़ें

Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या के नियम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म ग्रंथों में पौष अमावस्या का विशेष महत्व है। यह पितरों की उपासना के लिए बहुत खास मानी गई है। इस अमावस्या को 'छोटा पितृ पक्ष' भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किया गया तर्पण और दान सीधे पूर्वजों तक पहुंचता है, जिससे उन्हें मोक्ष मिलता है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस साल की अंतिम अमावस्या के रूप में यह तिथि पितृ दोष दूर करने के लिए बहुत फलदायी मानी जा रही है, तो आइए इस तिथि (Paush Amavasya Rtuals And Rules) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -
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- पितृ तर्पण मुहूर्त (Tarpan Muhurat) - दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक।
पितृ तर्पण के नियम (Rules of Tarpan)
- तर्पण (Pitru Tarpan significance) हमेशा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए, क्योंकि यह दिशा पितरों की मानी जाती है।
- तर्पण के जल में काले तिल, कुशा, अक्षत और सफेद फूल जरूर मिलाएं।
- कुशा को अनामिका उंगली में अंगूठी की तरह पहनें।
- जनेऊ धारण करने वाले लोग तर्पण के समय जनेऊ को दाएं कंधे पर रखें।
- तर्पण करने वाले व्यक्ति को सात्विक रहना चाहिए।
- तर्पण कभी भी सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद नहीं करना चाहिए।
- दोपहर का समय तर्पण के लिए सबसे अच्छा होता है।
पंचबली
अमावस्या के दिन केवल तर्पण (Paush Amavasya 2025 Date And Muhurat) ही काफी नहीं है, बल्कि 'पंचबली' भोग भी लगाना चाहिए। इसमें भोजन का अंश पांच जीवों को दिया जाता है, जिसमें गाय, कुत्ता, कौआ, देवता और चींटी शामिल है। ऐसा माना जाता है कि इन माध्यमों से पितृ अपना भोग स्वीकार करते हैं।
अमावस्या पर न करें ये काम (Paush Amavasya 2025 Donts)
- घर के मुख्य द्वार पर अंधेरा न रखें, शाम को दीपक जरूर जलाएं।
- इस तिथि पर मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं करना चाहिए।
- अमावस्या की रात को किसी भी सुनसान जगह या श्मशान की ओर नहीं जाना चाहिए।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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