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    Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या पर करें ये आरती, होगी मोक्ष की प्राप्ति

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 09:08 AM (IST)

    पौष अमावस्या, जिसे 'पितृ अमावस्या' भी कहते हैं। पूर्वजों के तर्पण और मुक्ति के लिए यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और पितृ देव की ...और पढ़ें

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    Paush Amavasya 2025: पौष अमावस्या पर करें ये काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पौष महीने की अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे 'पितृ अमावस्या' भी कहा जाता है, क्योंकि यह समय पूर्वजों के तर्पण और मुक्ति के लिए बहुत फलदायी माना जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और पितृ देव की पूजा होती है। वहीं, इस दिन (Paush Amavasya 2025) स्नान-दान के बाद भगवान विष्णु और पितृ देव की आरती जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है। साथ ही पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।

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    ।।पितृ देव की आरती (Pitru Dev Aarti)।।

    जय जय पितर जी महाराज,

    मैं शरण पड़ा तुम्हारी,

    शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,

    रख लेना लाज हमारी,

    जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

    आप ही रक्षक आप ही दाता,

    आप ही खेवनहारे,

    मैं मूरख हूं कछु नहिं जानू,

    आप ही हो रखवारे,

    जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

    आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,

    करने मेरी रखवारी,

    हम सब जन हैं शरण आपकी,

    है ये अरज गुजारी,

    जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

    देश और परदेश सब जगह,

    आप ही करो सहाई,

    काम पड़े पर नाम आपके,

    लगे बहुत सुखदाई,

    जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

    भक्त सभी हैं शरण आपकी,

    अपने सहित परिवार,

    रक्षा करो आप ही सबकी,

    रहूं मैं बारम्बार,

    जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

    जय जय पितर जी महाराज,

    मैं शरण पड़ा हू तुम्हारी,

    शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,

    रखियो लाज हमारी,

    जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

    भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti)

    ॐ जय जगदीश हरे आरती

    ॐ जय जगदीश हरे,

    स्वामी जय जगदीश हरे ।

    भक्त जनों के संकट,

    दास जनों के संकट,

    क्षण में दूर करे ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    जो ध्यावे फल पावे,

    दुःख बिनसे मन का,

    स्वामी दुःख बिनसे मन का ।

    सुख सम्पति घर आवे,

    सुख सम्पति घर आवे,

    कष्ट मिटे तन का ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    मात पिता तुम मेरे,

    शरण गहूं किसकी,

    स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।

    तुम बिन और न दूजा,

    तुम बिन और न दूजा,

    आस करूं मैं जिसकी ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    तुम पूरण परमात्मा,

    तुम अन्तर्यामी,

    स्वामी तुम अन्तर्यामी ।

    पारब्रह्म परमेश्वर,

    पारब्रह्म परमेश्वर,

    तुम सब के स्वामी ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    तुम करुणा के सागर,

    तुम पालनकर्ता,

    स्वामी तुम पालनकर्ता ।

    मैं मूरख फलकामी,

    मैं सेवक तुम स्वामी,

    कृपा करो भर्ता॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    तुम हो एक अगोचर,

    सबके प्राणपति,

    स्वामी सबके प्राणपति ।

    किस विधि मिलूं दयामय,

    किस विधि मिलूं दयामय,

    तुमको मैं कुमति ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,

    ठाकुर तुम मेरे,

    स्वामी रक्षक तुम मेरे ।

    अपने हाथ उठाओ,

    अपने शरण लगाओ,

    द्वार पड़ा तेरे ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    विषय-विकार मिटाओ,

    पाप हरो देवा,

    स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।

    श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

    श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

    सन्तन की सेवा ॥

    ॐ जय जगदीश हरे,

    स्वामी जय जगदीश हरे ।

    भक्त जनों के संकट,

    दास जनों के संकट,

    क्षण में दूर करे ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।