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    Pauranik Katha: इन लोगों के पास क्यों नहीं जाती हैं मां लक्ष्मी, जानिए इसके पीछे की कथा

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 01:52 PM (IST)

    ऋषि भृगु सप्तऋषियों में से एक हैं। उनके द्वारा रचित भृगु संहिता भी हिंदू धर्म में मुख्य ग्रंथों में शामिल है। आज हम आपको ऋषि भृगु से जुड़ी एक कथा बताने जा रहे हैं जिसके अनुसार मां लक्ष्मी से ऋषि भृगु को एक श्राप मिला था। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

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    Pauranik Katha in hindi ऋषि भृगु को क्यों मिला श्राप?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म ग्रंथों में असंख्य पौराणिक कथाएं हैं, जो ज्ञान का भंडार हैं। साथ ही ये सभी मानव मात्र को प्रेरणा देने का काम करती हैं। आज हम आपको एक ऐसी कथा बताने जा रहे हैं, जिसके अनुसार, यह माना जाता है कि मां लक्ष्मी के इस श्राप के कारण ही ब्राह्मणों के पास लक्ष्मी जी नहीं ठहरती। चलिए जानते हैं यह पौराणिक कथा।

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    जानिए पौराणिक कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सभी ऋषि-मुनियों में यह बहस होती है कि आखिर तीनों देवों में से सबसे सर्वश्रेष्ठ कौन है। इस बात का पता लगाने के लिए ऋषि भृगु का चुनाव किया जाता है। ऋषि सबसे पहले सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी के पास जाते हैं।

    वह जानबूझकर ब्रह्मा जी को न ही प्रणाम करते हैं और न ही हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करते हैं। इससे ब्रह्मा जी नाराज हो जाते हैं। इसके बाद वह शिव जी के पास जाते हैं और यही व्यवहार करते हैं, जिससे शिव जी भी नाराज हो जाते हैं।

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    भगवान विष्णु पर आया क्रोध

    अंत में वह भगवान विष्णु से मिलने पहुंचते हैं, जहां भगवन विष्णु योग निद्रा में होते हैं। ऋषि, भगवान विष्णु को उठाने की हर संभव कोशिश करते हैं लेकिन भगवान हीं उठते। इससे ऋषि बहुत क्रोधित हो जाते हैं और उनकी छाती पर लात मार देते हैं। 

    इसके बाद भगवान विष्णु भृगु ऋषि के पैर दबाते हुए कहते हैं कि कहीं आपको मेरी कठोर छाती से आपके पेड़ को पीड़ा तो नहीं हुई। यह देखकर ऋषि भृगु को यह सुनिश्चित हो जाता है कि तीनों देवों में भगवान विष्णु ही सबसे श्रेष्ठ हैं।

    लक्ष्मी जी ने दिया ये श्राप

    इस घटना के बाद मां लक्ष्मी बेहद नाराज हो जाती हैं और भृगु ऋषि को श्राप दे देती हैं। श्राप देते हुए मां लक्ष्मी कहती हैं कि मैं कभी भी ब्राह्मणों के घर नहीं जाऊंगी और वे हमेशा गरीब ही रहेंगे।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।