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    क्या आप जानते हैं किस भगवान के मंदिर में कितनी बार करनी चाहिए परिक्रमा, किस दिशा में करनी चाहिए

    परिक्रमा लगाने से इंसान के विचारों में सकारात्मकता और पवित्रता बढ़ती है। हर देवी-देवता की परिक्रमा लगाने के लिए अलग नियम होते हैं जिनके बारे में नारद पुराण में विस्तार से बताया गया है। आज हम आपको बता रहे हैं कि परिक्रमा क्यों लगाते हैं और किस देवता की कितनी प्रदक्षिणा लगानी चाहिए।

    By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Tue, 06 May 2025 04:53 PM (IST)
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    हिंदू धर्म के प्रमुख पुराणों में से एक है नारद पुराण।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अपने कई बार मंदिर में या घरों में भी पूजा-पाठ के बाद लोगों को परिक्रमा करते हुए देखा होगा। मगर, क्या आपको पता है कि हर देवी-देवता की मूर्ति या मंदिर की परिक्रमा के अलग-अलग नियम होते हैं? क्या आप जानते हैं कि परिक्रमा कैसे पूरी मानी जाती है?

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    यदि आप इसे नहीं जानते हैं, तो लेख में इसके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए तैयार हो जाइए। दरअसल, हिंदू धर्म के प्रमुख पुराणों में से एक है नारद पुराण। इसमें बताया गया है कि विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा और परिक्रमा के क्या नियम होते हैं।

    पॉजिटिव एनर्जी पाने के लिए करते हैं परिक्रमा

    मान्यता है कि भगवान के सामने या मंदिर की परिक्रमा करने से पापों का नाश होता है। विज्ञान की नजर से देखें तो मंदिर का वास्तु इस तरह से बना होता है कि वहां पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो बहुत ज्यादा होता है। आपने भी मंदिर में महसूस किया होगा कि वहां जाकर आपको बहुत शांति महसूस होती होगी।

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    जब आप उस मंदिर या भगवान की मूर्ति के चारों तरफ चक्कर लगाते हैं, तो आप उस पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो अपने अंदर बढ़ाते हैं। कहते हैं कि मूर्तियों की सकारात्मक ऊर्जा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है। इसी वजह से परिक्रमा दाईं तरफ से शुरू की जाती है, इसीलिए इसे प्रदक्षिणा भी कहते हैं।

    किस देवता की करते हैं कितनी परिक्रमा

    नारद पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों की चार बार परिक्रमा की जाती है। शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने का विधान है क्योंकि उनकी जलाधारी को पार नहीं किया जाता है। वहां पहुंचकर ही परिक्रमा को पूर्ण मान लिया जाता है।

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    इसके अलावा सूर्य देव की सात, श्रीगणेश की चार, दुर्गा जी सहित किसी भी देवी की एक, हनुमानजी की तीन परिक्रमा की जाती हैं।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।