Parashurama Jayanti पर सौभाग्य योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, मिलेगा दोगुना लाभ
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की (Akshaya Tritiya 2025) भक्ति भाव से पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को अक्षय और अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस शुभ अवसर पर लोग स्वर्ण आभूषणों की खरीदारी करते हैं।
धर्म डेस्क नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 29 अप्रैल को परशुराम जयंती है। यह पर्व हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर परशुराम जी की पूजा की जाती है। जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर कई प्रकार के मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान परशुराम की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार की परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं शांति आती है। आइए, परशुराम जयंती की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त (Akshaya Tritiya 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर तृतीया तिथि समाप्त होगी। इस प्रकार 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनाया जाएगा।
परशुराम जयंती 2025 शुभ मुहूर्त (Parshuram Jayanti 2025 Shubh Muhurat)
सनातन शास्त्रों में निहित है कि भगवान परशुराम का अवतार प्रदोष काल में हुआ है। इसके लिए हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर प्रदोष काल में भगवान परशुराम की पूजा की जाती है। इस साल 29 अप्रैल को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। इसके लिए 29 अप्रैल को परशुराम जयंती मनाई जाएगी।
सौभाग्य योग
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर सौभाग्य योग का संयोग बन रहा है। परशुराम जयंती पर सौभाग्य योग दोपहर 03 बजकर 54 मिनट तक है। इस योग में भगवान परशुराम की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही भगवान परशुराम की कृपा साधक पर बरसती है।
शोभन योग
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है। शोभन योग शाम 03 बजकर 45 मिनट से है। इस योग में भगवान परशुराम की पूजा करने से हर एक मनोकामना पूरी होगी। साथ ही साधक पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी।
त्रिपुष्कर योग
परशुराम जयंती पर त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 42 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 31 मिनट तक है। इस योग में भगवान परशुराम की पूजा करने से सभी कामों में सिद्धि मिलेगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 42 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 55 मिनट पर
- चन्द्रोदय- सुबह 06 बजकर 29 मिनट पर
- चन्द्रास्त रात 09 बजकर 03 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 16 मिनट से 04 बजकर 59 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 54 मिनट से 07 बजकर 16 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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