Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी पर करें इस कथा का पाठ, मिलेगा पूजा का शुभ फल

    Updated: Tue, 25 Mar 2025 09:05 AM (IST)

    चैत्र महीने में आने वाली पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) को बहुत पावन माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल यह एकादशी आज यानी 25 मार्च 2025 दिन मंगलवार को मनाई जा रही है तो आइए यहां एकादशी की कथा का पाठ करते हैं जिसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है।

    Hero Image
    Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी व्रत कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पापमोचनी एकादशी का व्रत हर साल भक्ति भाव के साथ रखा जाता है। यह तिथि श्री हरि विष्णु की पूजा के लिए बहुत उत्तम मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और विधिवत पूजा-पाठ करते हैं। कहते हैं कि इस उपवास का पालन करने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है। प्रत्येक महीने में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशी आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह एकादशी आज यानी 25 मार्च 2025 दिन मंगलवार को मनाई जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जो भक्त इस दिन (Papmochani Ekadashi 2025) भक्तिपूर्ण व्रत रखते हैं और पापमोचनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करते हैं, उन्हें धन-वैभव और अपार यश की प्राप्ति होती है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।

    पापमोचनी एकादशी व्रत कथा (Papmochani Ekadashi 2025 Kath In Hindi)

    एक बार राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से एक प्रश्न किया कि गलती से हुए पापों से मुक्ति कैसे प्राप्त की जा सकती है। तब ऋषि ने उन्हें पापमोचनी एकादशी उपवास के बारे में बताया। प्रचलित कथाओं के अनुसार, एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वन में तपस्या कर रहे थे। तभी वहां से एक अप्सरा जा रही थी। जिसका नाम मंजुघोषा था। उसकी नजर मेधावी पर पड़ी और वह उसे देखकर मोहित हो गई। इसके बाद मंजुघोषा ने मेधावी को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए। इस काम की मदद के लिए कामदेव भी आ सामने आ गए। तब मेधावी भी मंजुघोषा की तरफ आकर्षित हो गए। ऐसे में वह देवों के देव महादेव तपस्या की करना भूल गए। कुछ समय निकल जाने के बाद मेधावी को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने मंजुघोषा को दोषी मानते हुए उन्हें पिशाचिनी होने का श्राप दिया, जिससे अप्सरा अधिक दुखी हुई। इसके बाद अप्सरा ने मेधावी से माफी मांगी और इस बात को सुनकर मेधावी ने मंजुघोषा को चैत्र माह की पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में बताया।

    मेधावी के कहने पर मंजुघोषा ने विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। व्रत के शुभ प्रभाव से अप्सरा को सभी पापों से छुटकारा मिल गया। इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा दोबारा से अप्सरा बन गई और स्वर्ग में वापस चली गई। मंजुघोषा के बाद मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी व्रत का पालन किया, जिससे उनके सभी पाप नष्ट हो गए।

    यह भी पढ़ें: Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी व्रत में जरूर करें ये 1 काम, रिश्तों में आएगी मिठास

    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।