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    Ramayan: शूर्पणखा के अलावा कौन करना चाहता था श्रीराम से शादी, जानते हैं प्रस्ताव पर क्या मिला आश्वासन

    Updated: Tue, 10 Jun 2025 03:10 PM (IST)

    उस समय रावण की बहन शूर्पणखा ने उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था। हालांकि श्रीराम ने यह कहते हुए उस विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया कि वह पहले से विवाहित है। वह नहीं मानी तो उसकी नाक कट गई। वहीं देववती ने जब विवाह का प्रस्ताव रखा तो उसे अगले जन्म में श्रीराम ने कृष्ण अवतार में विवाह का वचन दिया।

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    भगवान विष्णु की बड़ी भक्त थीं कुशध्वज ऋषि की पुत्री वेदवती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। यह बात त्रेता युग की है, जब भगवान विष्णु ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के रूप में धरती पर अवतार लिया था। उस समय श्रीराम का विवाह माता सीता के साथ हो चुका था और वह अपनी पत्नी के प्रति पूर्ण रूप से निष्ठावान थे। 

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    यदपि उस समय बहुविवाह प्रचलित था। जैसा कि उनके पिता राजा दशरथ की तीन रानियां थी, लेकिन मर्यादा की स्थापना के लिए वह सिर्फ एक पत्नी के लिए ही निष्ठावान रहना चाहते थे। वह यह मर्यादा स्थापित करना चाहते थे की सभी लोगों को अपनी पत्नी के प्रति पूर्ण निष्ठावान रहना चाहिए। 

    जब उन्हें 14 वर्ष का वनवास मिला, तब वह भटकते हुए जब जंगलों में घूम रहे थे। उस समय रावण की बहन शूर्पणखा ने उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, श्रीराम ने यह कहते हुए उस विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया कि वह पहले से विवाहित है। 

    उन्होंने लक्ष्मण की तरफ इशारा कर दिया। शूर्पणखा ने लक्ष्मण के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, तो उन्होंने भी शादी के इंकार कर दिया। इसके बाद भी जब शूर्पणखा नहीं मानी और उसने माता सीता पर हमला करने की कोशिश की, तो लक्ष्मण जी ने उसकी नाक काट दी थी। यही घटनाक्रम आगे चलकर राम-रावण के युद्ध का कारण भी बना।  

    वेदवती को मिला अगले जन्म का आश्वासन 

    इसके अलावा एक और कहानी सुनाने को मिलती है, जो कि वेदवती नाम की महिला की है। वेदवती की इस कहानी का जिक्र वाल्मीकि रामायण के उत्तराखंड में मिलता है। कुशध्वज ऋषि की पुत्री वेदवती भगवान विष्णु की बड़ी भक्त थीं और यह जानती थीं कि इस बार उन्होंने श्रीराम के रूप में धरती पर अवतार लिया है। 

    वह भी भगवान श्री राम के पास में विवाह का प्रस्ताव लेकर गई थीं। तब श्रीराम ने वेदवती से कहा था कि इस जन्म में वह एक पत्नी के धर्म का पालन करेंगे। इसलिए उन्हें विवाह करने के लिए प्रतीक्षा करनी होगी। द्वापर युग में जब वह कृष्ण अवतार लेकर दोबारा धरती पर आएंगे, तब वेदवती के विवाह की इच्छा को पूर्ण करेंगे। 

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    अग्नि प्रस्थान से पहले रावण को दिया श्राप 

    इसके बाद वेदवती अपनी तपस्या में लग जाती है। इधर, वेदवती की सुंदरता को देखकर लंकापति रावण मंत्रमुग्ध हो जाता है और उनका अपहरण करने का प्रयास करता है। अपनी पवित्रता की रक्षा के लिए वेदवती ने अग्नि प्रस्थान कर प्राण त्याग दिए थे। मगर, इससे पहले रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण उसकी मृत्यु होगी। 

    कहते हैं कि अगले जन्म में वेदवती ने द्वापर युग में रुक्मणी के रूप में जन्म लिया। अपना वचन निभाते हुए श्रीकृष्ण ने उनसे विवाह किया और उन्हें अपनी जीवनसंगिनी बनाया।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।