भीम ने किसके कहने पर और क्यों रखा था निर्जला एकादशी का व्रत, क्या जानते हैं आप
ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत में पानी पीना वर्जित है। मान्यता है कि इस एक व्रत से साल की सभी एकादशी के पुण्य मिल जाते हैं। महाभारत काल में भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत रखा था क्योंकि वह बिना भोजन के नहीं रह सकते थे।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ के महीने में जब सूर्य का ताप अपने चरम पर होता है, तब शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) का व्रत रखा जाता है। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन व्रत रखने वाला पानी नहीं पी सकता है, तो इसे करना और भी मुश्किल हो जाता है।
सबसे कठोर विधान होने की वजह से इस व्रत का महत्व भी इतना है कि यदि कोई साल की 23 एकादशी के व्रत न कर सके, तो इस एकादशी के व्रत से ही सभी पुण्य मिल जाते हैं। इस साल 6 जून 2025 को यह व्रत रखा जाएगा। पद्मपुराण में भी निर्जला एकादशी के व्रत से सभी मनोरथ सिद्ध होने की बात लिखी हुई है।
महाभारत काल में भी इस व्रत के विधान की चर्चा मिलती है। पांडवों में युधिष्ठर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, माता कुंती और द्रौपदी सभी एकादशी के व्रत करती थीं। भीम भी मोक्ष पाने के लिए इस व्रत को करना चाहते थे, लेकिन उनके साथ समस्या थी कि वह जरा देर भी भूखे नहीं रह सकते थे।
वेद व्यास और भीष्म ने दिया मार्गदर्शन
तब उन्होंने महर्षि वेद व्यास और गंगापुत्र भीष्म से मार्गदर्शन लिया। दोनों ने भीम को बताया कि यदि वह साल में एक बार निर्जला एकादशी का व्रत कर लें, तो उन्हें सभी 24 एकादशी के पुण्य फल की प्राप्ति हो जाएगी। इससे उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके बाद से भीम ने हमेशा निर्जला एकादशी का ही व्रत रखा।
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कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्रत रखने वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष पाता है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।
व्रत के दिन क्या करें
व्रत वाले दिन व्यक्ति को ‘ॐ नमो नारायण’ या भगवान विष्णु के द्वादश अक्षरी मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि इससे व्यक्ति के सभी कर्मबंधन कट जाते हैं और वह मोक्ष का प्राप्त कर विष्णुधाम में जाता है।
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