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    Nowruz 2025: 13 दिनों तक चलता है पारसी नववर्ष, जानिए कैसे मनाया जाता है नवरोज

    आज यानी 20 मार्च 2025 को पारसी नववर्ष (Parsi New Year celebration 2025) मनाया जा रहा है। पारसी समुदाय में इसे नवरोज के नाम से जाना जाता है। इस दिन पर पारसी समुदाय के लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही इस दिन पर एक-दूसरे को उपहार देने का भी चलन है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस पर्व को किस तरह मनाया जाता है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 20 Mar 2025 01:07 PM (IST)
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    Nowruz 2025 Parsi New Year (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नवरोज (Nowruz 2025) दो पारसी शब्दों यानी नव और रोज से मिलकर बना है, जहां नव का अर्थ है- नया और रोज का अर्थ है दिन। नवरोज के दिन से ही पारसी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है और इस दिन को बहुत ही खास तरीके से मनाया जाता है। 

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    किसका संकेत है नवरोज

    पारसी समुदाय में नवरोज का दिन वसंत ऋतु के पहले दिन को दर्शाता है। साथ ही यह सर्दियों के समाप्त होने का भी संकेत है। हर साल वसंत विषुव के उत्सव में लाखों लोग भाग लेते हैं और इस दिन को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।

    पारसी कैलेंडर के अनुसार, वसंत ऋतु का समापन 20 मार्च, 2025 को पूर्वी समयानुसार सुबह 5 बजकर 01 मिनट पर हो रहा है। नवरोज का पर्व विशेष रूप से ईरान, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान, अजरबैजान आदि देशों में  मनाया जाता है।

    (Picture Credit: Freepik)

    कैसे मनाया जाता है नवरोज

    पारसी नववर्ष के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और पूरे घर को खासकर मुख्य द्वार को सजाते हैं। इसी के साथ हफ़्त सिन टेबल (Haft Sin Table) की स्थापना की जाती है। इस टेबल पर सात वस्तुएं रखी जाती हैं जैसे सेब, सरसों का तेल, पानी, दही, सौंफ, अखरोट, प्याले में पानी और सोने की मछली आदि।

    इन सभी वस्तुओं का एक विशेष अर्थ माना गया है। इसके बाद लोग नए साल में खुशहाली, समृद्धि और स्वास्थ्य कामना करते हैं। इस दिन घरों में तरह-तरह के पारम्परिक व्यंजन बनाए जाते हैं और अपने दोस्तों और करीबियों को बांटे जाते हैं। इसी के साथ इस दिन पर एक-दूसरे को गिफ्ट्स देने का भी चलन है।

    (Picture Credit: Freepik)

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    13 दिनों तक चलता है पर्व

    नवरोज के दौरान पारंपरिक खेल, संगीत, नृत्य आदि भी किया जाता है, जो इस दिन को और भी खास बना देता है। लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। यह उत्सव लगभग 13 दिन तक चलता है, जिसके आखिरी दिन यानी 13वें दिन “सिज़दाह बेदार” का आयोजन किया जाता है। इस दिन पर लोग प्रकृति के बीच जाकर समय बिताते हैं। पारसी मान्यताओं के अनुसार, यह पर्व जीवन के नवीनीकरण को महसूस करने का एक विशेष अवसर है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।