Nirjala Ekadashi: 24 एकादशी का फल दे सकती है निर्जला एकादशी, भीम ने भी रखा था ये व्रत
निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में रखा जाता है जिसे 6 जून 2025 को मनाया जाएगा। इस व्रत में जल का त्याग किया जाता है जो भीषण गर्मी में एक कठिन तपस्या के समान है। इस व्रत को करने से साल की 24 एकादशियों का फल मिलता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) का व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 6 जून 2025 को रखा जाएगा। जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है कि इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जल ग्रहण नहीं कर सकता है। ऐसे में प्रचंड गर्मी के समय में इस व्रत को करना और भी कठिन हो जाता है।
इसलिए यह व्रत किसी कठोर तपस्या से कम नहीं होता है। इसी वजह से यदि कोई व्यक्ति इस व्रत को करता है, तो उसे साल की सभी 24 एकदशी के व्रत का पुण्य फल मिल जाता है। इस व्रत का नियम जितना कठिन है, उतना ही अधिक इसका पुण्य फल भी मिलता है।
महाभारत काल में भी इस व्रत के महत्व का वर्णन मिलता है। तब भूख लगने पर विचलित हो जाने वाले भीम ने इस को करने का न सिर्फ संकल्प लिया था, बल्कि इसे पूरा भी किया था। इसी वजह से निर्जला एकदशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन क्या करना चाहिए
निर्जला एकादशी के दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद ही पानी पी सकता है। मगर, इससे पहले उसे कलश पूजन करना होता है और फिर कलश दान करना होता है। इसके बाद ही वह जलपान कर सकता है। तभी इस व्रत को पूरा माना जाता है।
ज्येष्ठ मास की प्रचंड गर्मी के समय में इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को प्यासे लोगों को पानी पिलाना चाहिए। यदि संभव हो, तो शरबत बनाकर बांटना चाहिए।
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व्रत करने वाले व्यक्ति को भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा और ध्यान करते हुए दिन बिताना चाहिए। जहां तक संभव हो किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।
व्रत करने वाले व्यक्ति को चोरी, झूठ या किसी भी तरह के पाप कर्म को नहीं करना चाहिए। किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए और न ही किसी से ईर्ष्या रखनी चाहिए।
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