Shardiya Navratri 2025: हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानिए किस वाहन पर होगी विदाई
ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर (Shardiya Navratri Puja Vidhi) दुर्लभ शुक्ल और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। शुक्ल योग का समापन रात 22 सितंबर को रात 07 बजकर 59 मिनट पर होगा। शुक्ल योग में मां दुर्गा की पूजा करने से व्रती को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार 22 सितंबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी। यह पर्व देवी मां दुर्गा को पूर्णतया समर्पित होता है। शारदीय नवरात्र के दौरान देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
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धार्मिक मत है कि शारदीय नवरात्र के दौरान देवी मां दुर्गा की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही साधक पर देवी मां दुर्गा की कृपा बरसती है। इस साल शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से लेकर 01 अक्टूबर तक है।
इसके अगले दिन यानी 02 अक्टूबर को दशहरा है। लेकिन क्या आपको पता है कि मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर आएंगी और किस वाहन से विदा होंगी? इससे भक्तजनों पर कैसा प्रभाव रहने वाला है। आइए, इसके बारे में जानते हैं-
शारदीय नवरात्र 2025 कैलेंडर (Shardiya Navratri 2025 Calendar)
- 22 सितंबर 2025- मां शैलपुत्री की पूजा
- 23 सितंबर 2025- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- 24 सितंबर 2025- मां चंद्रघंटा की पूजा
- 26 सितंबर 2025- मां कूष्मांडा की पूजा
- 27 सितंबर 2025- मां स्कंदमाता की पूजा
- 28 सितंबर 2025- मां कात्यायनी की पूजा
- 29 सितंबर 2025- मां कालरात्रि की पूजा
- 30 सितंबर 2025- मां सिद्धिदात्री की पूजा
- 01 अक्टूबर 2025- मां महागौरी की पूजा
- 02 अक्टूबर 2025- विजयदशमी (दशहरा)
शारदीय नवरात्रि 2025 तिथि (Shardiya Navratri 2025 Start Date)
वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है। प्रतिपदा तिथि का समापन 23 सितंबर को देर रात 02 बजकर 55 मिनट पर होगा। शारदीय नवरात्रि के शुभ अवसर पर घटस्थापना मुहूर्त 22 सितंबर को सुबह 05 बजकर 34 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 29 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 14 मिनट से दोपहर 12 बजकर 02 मिनट तक है। इन योग में घटस्थापना कर मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं।
मां दुर्गा का आगमन
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।
गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥
गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां कार्यसिद्धिस्यात् दोलायों मरणधु्रवम्॥
देवीपुराण में निहित श्लोक के अनुसार, रविवार और सोमवार के दिन मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। इस साल जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा शारदीय नवरात्र में गज यानी हाथी पर सवार होकर आएंगी। ज्योतिषियों की मानें तो मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना सुखप्रद रहने वाला है। इससे मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है।
मां दुर्गा का प्रस्थान
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा,
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
देवी पुराण में वर्णित श्लोक के अनुसार, गुरुवार के दिन मां दुर्गा भक्तजनों के कंधे पर सवार होकर जाती हैं। मां दुर्गा का नरवाहन प्रस्थान करना शुभ होता है। इससे जीवन पर उत्तम असर पड़ता है। साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। सुख एवं शांति बनी रहेगी। मां दुर्गा की कृपा से भक्तजनों की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही दुख और दर्द दूर हो जाएंगे।
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