Shardiya Navratri 2025 Puja Samagri: इस दिन से शुरू होंगे शारदीय नवरात्र, अभी नोट करें घटस्थापना की सामग्री
वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है। यह पर्व मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। शारदीय नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना (Shardiya Navratri 2025 Ghatasthapana Muhurat) की जाती है और मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना होती है। इससे साधक पर मां दुर्गा की कृपा बरसती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। इस अवधि को नवदुर्गाओं की उपासना करने के लिए उत्तम माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) में मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही मां दुर्गा की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
शारदीय नवरात्र के दिन पहले दिन कलश स्थापना कर मां दुर्गा की उपासना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि कलश स्थापना में विशेष चीजों को शामिल करने से साधक को पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और मां दुर्गा जीवन के सभी दुखों को दूर करती हैं। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि कलश स्थापना की पूजा सामग्री लिस्ट और मुहूर्त के बारे में।
शारदीय नवरात्र 2025 घट स्थापना मुहूर्त (Shardiya Navratri 2025 Ghatasthapana shubh muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इस दिन दो शुभ मुहूर्त हैं। सुबह 6 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 06 मिनट है। दूसरा मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है। इन दोनों में से किसी भी मुहूर्त घटस्थापना कर सकते हैं।
शारदीय नवरात्र 2025 घटस्थापना की सामग्री लिस्ट (Shardiya Navratri 2025 Ghatasthapana Samagri)
- अनाज, साफ जवा
- कलश
- गंगाजल
- सुपारी, मौली, रोली
- जटा वाला नारियल
- आम या अशोक के पत्ते
- मिट्टी का बर्तन
- किसी पवित्र स्थान की मिट्टी (मंदिर आदि)
- अखंड ज्योति के लिए बड़ा दीया, रुई की बाती
- लाल सूत्र, सिक्का
- लाल कपड़ा
- फूल, फूल माला
- इलायची, लौंग, कपूर
- अक्षत, हल्दी
इस तरह करें घट स्थापना (Kalash Sthapana Vidhi in Hindi)
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। बता दें, कलश स्थापना के लिए घर की उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा को शुभ माना जाता है। कलश में साफ जल भरकर उसमें सिक्का, फूल और अक्षत डालें। इसके बाद कलश पर स्वास्तिक बनाएं और कलावा लपेट दें। लाल चुनरी में नारियल को लपेट कर कलश के ऊपर रख दें। देसी घी का दीपक जलाकर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करें। व्रत कथा का पाठ करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं।
करें इन मंत्रों का जप
ॐ ह्रींग डुंग दुर्गायै नमः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
मां दुर्गा का आह्वान मंत्र -
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
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