Narasimha Jayanti 2025: आखिर श्रीहरि ने क्यों लिया भगवान नरसिंह का अवतार? पढ़ें पौराणिक कथा
वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरसिंह जयंती (Narsingh Jayanti 2025) का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु ने भगवान नरसिंह का अवतार लिया था। इस अवसर पर पढ़ते हैं नरसिंह जयंती (Narsingh Jayanti Katha) की पौराणिक कथा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 11 मई (Narsingh Jayanti 2025 Date) को नरसिंह जयंती मनाई जा रही है। इस खास तिथि पर भक्त भगवान नरसिंह की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान नरसिंह की पूजा करने से साधक को जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं। साथ ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्त होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार क्यों लिया था। अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए हम आपको बताएंगे इसकी खास वजह के बारे विस्तार से।
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नरसिंह जयंती 2025 डेट? (Narasimha Jayanti 2025 Date)
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 10 मई को शाम 05 बजकर 29 मिनट पर शुरू हो गई है। वहीं, इस तिथि का समापन 11 मई को रात 09 बजकर 19 मिनट पर होगा। इस प्रकार आज यानी 11 मई को नरसिंह जयंती मनाई जा रही है।
नरसिंह जयंती कथा (Narasimha Jayanti Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नाम के राक्षस ने तपस्या से ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। ब्रह्माजी ने हिरण्यकश्यप को वरदान दिया कि तुम्हें न कोई अस्त्र से मार सके और न शस्त्र से, न दिन में मरेगा न रात में, न कोई बाहर और न घर में मार सके, न पृथ्वी न आकाश में।
इस वरदान के मिलने के बाद हिरण्यकश्यप ने लोगों को परेशान किया और तीनों लोकों पर अपना कब्जा जमाना चाहता था। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद था। प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना किया करता था, लेकिन उसकी पूजा से हिरण्यकश्यप खुश नहीं था।
इसके बाद उसने अपने पुत्र को मारने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और हिरण्यकश्यप कोशिश की नाकाम रही, जिसकी वजह से हिरण्यकश्यप को गुस्सा आ गया। उसने दोबारा से प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया। इस दौरान भगवान विष्णु ने भगवान नरसिंह का अवतार लिया। भगवान नरसिंह खंभे से अवतरित हुए। इसके बाद उन्होंने मुख्य दरवाजे के बीच हिरण्यकश्यप को पैर पर लेटा कर नाखूनों की मदद से उसका का वध किया। इसलिए नरसिंह जयंती मनाई जाती है।
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