Narasimha Jayanti 2025: नरसिंह जयंती पर मिलेगी भगवान विष्णु की कृपा, जरूर करें ये पाठ
धार्मिक पुराणों में कथा मिलती है कि भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा और असुरों के राजा हिरण्यकश्यप का संघार करने के लिए नरसिंह अवतार (Narasimha Jayanti 2025) लिया था। इस स्वरूप में वह अर्ध सिंह (शेर) और अर्ध नर (मनुष्य) के रूप में प्रकट हुए थे। ऐसे में इस दिन पर इस खास स्तोत्र का पाठ कर नरसिंह भगवान की कृपा पा सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्दशी तिथि पर नरसिंह जयंती मनाई जाती है। ऐसे में इस बार पंचांग के अनुसार 11 मई को मनाई जाएगी।
माना जाता है कि जो साधक इस दिन पर विधिवत रूप से भगवान विष्णु के नरसिंह स्वरूप की पूजा-अर्चना करता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। आप इस दिन पर ऋण विमोचन नृसिंह स्तोत्रम् का पाठ करके भगवान विष्णु की कृपा के पात्र बन सकते हैं। तो चलिए पढ़ते हैं ऋण विमोचन नृसिंह स्तोत्रम्।
ऋण विमोचन नृसिंह स्तोत्रम् (Rina Vimochana Nrisimha Stotram)
श्री लक्ष्मी नृसिंह सर्वसिद्धिकर ऋणमोचन स्तोत्र।
देवकार्य सिध्यर्थं सभस्तंभं समुद् भवम ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
लक्ष्म्यालिन्गितं वामांगं, भक्ताम्ना वरदायकं ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
अन्त्रांलादरं शंखं, गदाचक्रयुध धरम् ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
स्मरणात् सर्व पापघ्नं वरदं मनोवाञ्छितं ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
नरसिंह भगवान, जगत के पालनहार भगवान विष्णु के उग्र स्वरूप के रूप में पूजे जाते हैं। नरसिंह जयंती के दिन कई लोग व्रत भी करते हैं, जिससे साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
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सिहंनादेनाहतं, दारिद्र्यं बंद मोचनं ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
प्रल्हाद वरदं श्रीशं, धनः कोषः परिपुर्तये ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
क्रूरग्रह पीडा नाशं, कुरुते मंगलं शुभम् ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
वेदवेदांगं यद्न्येशं, रुद्र ब्रम्हादि वंदितम् ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
व्याधी दुखं परिहारं, समूल शत्रु निखं दनम् ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
विद्या विजय दायकं, पुत्र पोत्रादि वर्धनम् ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
भुक्ति मुक्ति प्रदायकं, सर्व सिद्धिकर नृणां ।
श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥
उर्ग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तम् सर्वतोमुखं ।
नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्य मृत्युं नमाम्यहम॥
य: पठेत् इंद् नित्यं संकट मुक्तये ।
अरुणि विजयी नित्यं, धनं शीघ्रं माप्नुयात् ॥
॥ श्री शंकराचार्य विरचित सर्वसिद्धिकर ऋणमोचन स्तोत्र संपूर्णं ॥
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