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    Narada Jayanti 2025: नारद जयंती पर शिववास योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, मिलेगा दोगुना लाभ

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 11 May 2025 04:51 PM (IST)

    जगत के पालनहार भगवान विष्णु की महिमा निराली है। अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। नारद जी (Narada Jayanti 2025 Puja Vidhi) भी जग के नाथ भगवान विष्णु के परम भक्त हैं।

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    Narada Jayanti 2025: नारद जयंती का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, सोमवार 12 मई को नारद जयंती है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर महर्षि नारद जी की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को महर्षि नारद जी का जन्मदिन हुआ था। इसके लिए हर साल ज्येष्ठ माह में नारद जयंती मनाई जाती है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो नारद जयंती पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु के परम भक्त नारद जी की पूजा करने से ज्ञान, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।आइए, नारद जयंती का शुभ मुहूर्त और योग के बारे में जानते हैं-

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    नारद जयंती 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Narad Jayanti 2025 Date and Shubh Muhurat)  

    ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 12 मई को देर रात 10 बजकर 25 मिनट पर होगी। वहीं, प्रतिपदा तिथि का समापन 14 मई को देर रात 12 बजकर 35 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष मान है। इसके लिए 13 मई को नारद जयंती मनाई जाएगी।

    नारद जयंती पूजा विधि (Narad Jayanti  puja Vidhi)

    ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर सूर्योदय के समय उठें। दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर नवीन वस्त्र धारण करें। इस समय सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद जगत के पालनहार संग नारद जी की पूजा करें।

    नारद जयंती 2025 शुभ योग (Narad Jayanti 2025 Shubh Yoga)  

    ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस योग का समापन 14 मई को देर रात 12 बजकर 35 मिनट पर होगा। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। इस समय में भगवान विष्णु और नारद जी की उपासना करने से हर कामना पूरी होगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।