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    Nag Panchami 2025: नाग पंचमी पर पूजा के समय करें इस मंगलकारी स्तोत्र का पाठ, कालसर्प दोष से मिलेगा छुटकारा

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Fri, 25 Jul 2025 09:00 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि नाग पंचमी (Nag Panchami 2025 Nag Stotra Path) के दिन नाग देवता की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। साधक भक्ति भाव से नाग पंचमी के दिन शिव परिवार की पूजा करते हैं। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव का दुग्धाभिषेक किया जाता है।

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    Nag Panchami 2025: नाग पंचमी की पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 29 जुलाई को नाग पंचमी है। यह पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन शिव परिवार संग नाग देवता की पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर शिवजी संग नाग देवता का दूध से अभिषेक किया जाता है।

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    धार्मिक मत है कि नाग देवता की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। साथ ही भाग्य में भी बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा, जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषियों की मानें तो नाग पंचमी के दिन शिव परिवार संग नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है।

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    अगर आप भी भगवान शिव और नाग देवता की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो नाग पंचमी के दिन भक्ति भाव से नाग देवता की पूजा (Nag Panchami 2025 puja vidhi) करें। वहीं, पूजा के समय गाय के कच्चे दूध से अभिषेक करें। साथ ही पूजा करते समय मंगलकारी नाग (Nag Panchami 2025 Nag stotra path) और शिवरक्षा स्तोत्र का पाठ करें।

    नाग स्तोत्र

    ब्रह्म लोके च ये सर्पाःशेषनागाः पुरोगमाः।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    विष्णु लोके च ये सर्पाःवासुकि प्रमुखाश्चये।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    रुद्र लोके च ये सर्पाःतक्षकः प्रमुखास्तथा।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    खाण्डवस्य तथा दाहेस्वर्गन्च ये च समाश्रिताः।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    सर्प सत्रे च ये सर्पाःअस्थिकेनाभि रक्षिताः।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    प्रलये चैव ये सर्पाःकार्कोट प्रमुखाश्चये।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    धर्म लोके च ये सर्पाःवैतरण्यां समाश्रिताः।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    ये सर्पाः पर्वत येषुधारि सन्धिषु संस्थिताः।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    ग्रामे वा यदि वारण्येये सर्पाः प्रचरन्ति च।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    पृथिव्याम् चैव ये सर्पाःये सर्पाः बिल संस्थिताः।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    रसातले च ये सर्पाःअनन्तादि महाबलाः।

    नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥

    ॥ श्रीशिवरक्षास्तोत्रम् ॥

    चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम्।

    अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम्॥

    गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम्।

    शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः॥

    गंगाधरः शिरः पातु भालं अर्धेन्दुशेखरः।

    नयने मदनध्वंसी कर्णो सर्पविभूषण॥

    घ्राणं पातु पुरारातिः मुखं पातु जगत्पतिः।

    जिह्वां वागीश्वरः पातु कंधरां शितिकंधरः॥

    श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः।

    भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक्॥

    हृदयं शंकरः पातु जठरं गिरिजापतिः।

    नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बरः॥

    सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सलः।

    उरू महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः॥

    जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः।

    चरणौ करुणासिंधुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः॥

    एतां शिवबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।

    स भुक्त्वा सकलान्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्॥

    ग्रहभूतपिशाचाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।

    दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्॥

    अभयङ्करनामेदं कवचं पार्वतीपतेः।

    भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम्॥

    इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽऽदिशत्।

    प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यः तथाऽलिखत॥

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।