Muharram 2025: आज से शुरू हुआ मुहर्रम, जानें इस महीने से जुड़ी जरूरी बातें
मुहर्रम को रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना माना गया है। इस महीने की शुरुआत नए चांद के दिखने पर निर्भर करती है। भारत में नया चांद 26 जून को दिखाई दिया था, जिससे मुहर्रम-उल-हराम का पहला दिन शुक्रवार 27 जून से शुरू हो चुका है। चलिए जानते हैं कि इस दौरान कि बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि व्यक्ति को अल्लाह की रहमत मिल सके।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर, जिसे हिजरी कैलेंडर भी कहा जाता है, का पहला महीना है। ऐसे में इस्लाम में मुहर्रम ((Importance of Muharram in Islam)) को काफी महत्व दिया गया है। इस महीने का पहला दिन इस्लाम में नए साल के रूप में मनाया जाता है।
साथ ही यह महीना इसलिए भी खास है, क्योंकि मुहर्रम के दसवें दिन आशूरा का दिन आता है, जिसका अपना एक धार्मिक महत्व है। यह इस्लाम के चार सबसे पवित्र महीनों में से एक है, जिसमें की तरह के नियमों का ध्यान रखा जाता है।
कब है आशूरा
भारत में, 26 जून को चांद दिखाई दिया था। मस्जिद-ए-नखोदा मरकजी रूयत-ए-हिलाल कमेटी की घोषणा के मुताबिक मुहर्रम-उल-हराम का पहला दिन शुक्रवार 27 जून से शुरू हो चुका है। वहीं मुहर्रम की 10वीं तारीख यानी आशूरा का दिन रविवार 6 जुलाई को मनाया जाएगा।
आशूरा का इतिहास
आशूरा का दिन साहस, सच्चाई और उत्पीड़न के प्रतिरोध के मूल्यों को याद करने का दिन है। इस दिन पैगम्बर हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद किया जाता है। इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मुहर्रम के 10वें दिन ही इमाम हुसैन ने इस्लाम धर्म की रक्षा के लिए अपने परिवार के साथ कुर्बानी दी थी। इसलिए इस दिन को आशूरा के दिन के रूप में मनाया जाता है।
मुहर्रम का महत्व
मुहर्रम का महीना शिया और सुन्नी दोनों समुदायों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस महीने में खास तौर से मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग दावत, करने या व्यंजन आदि से परहेज करते हैं, क्योंकि मुहर्रम को शोक के रूप में मनाया जाता है। साथ ही इस महीने में शादी करना या फिर ऐसा काम करना जिसमें शोर-शराबा हो, उसे ठीक नहीं माना जाता। इसके साथ ही मुहर्रम के दसवें दिन शहीदों की याद में ताजिया का जुलूस निकाला जाता है।
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