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    Mokshada Ekadashi 2023: दिसंबर महीने में कब है मोक्षदा एकादशी? जानें- शुभ मुहूर्त, तिथि पूजा विधि एवं महत्व

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 30 Nov 2023 06:08 PM (IST)

    Mokshada Ekadashi 2023 धार्मिक मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी करने से साधक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली का आगमन होता है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो मोक्षदा एकादशी तिथि पर विधि-विधान से जगत के पालहार भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करें।

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    Mokshada Ekadashi 2023: दिसंबर महीने में कब है मोक्षदा एकादशी? जानें- शुभ मुहूर्त, तिथि पूजा विधि एवं महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mokshada Ekadashi 2023: हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष 22 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी करने से साधक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली का आगमन होता है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मोक्षदा एकादशी तिथि पर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और 23 दिसंबर को सुबह 07 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 22 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी।

    पूजा विधि

    मोक्षदा एकादशी के दिन ब्रह्म बेला में उठकर घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो गंगा समेत पवित्र नदी में स्नान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें और पीले वस्त्र धारण करें। अब तिलांजलि करें। इसके लिए हथेली में तिल और जल लेकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। साथ ही बहती जलधारा में तिल प्रवाहित करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीले रंग का फूल, फूल, चंदन, तिल, जौ, अक्षत, दूर्वा आदि अर्पित करें। इस समय पवित्र ग्रंथ गीता के एक अध्याय का अध्ययन और श्रवण करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति हेतु कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। विशेष कार्य में सफलता प्राप्ति हेतु निर्जला उपवास भी रख सकते हैं।

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    डिसक्लेमर:'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'