Mauni Amavasya 2026 Date: 18 या 19 जनवरी? कब है मौनी अमावस्या, यहां पढ़ें सही तिथि और शुभ मुहूर्त
अब जल्द ही नए साल की शुरुआत होने जा रही है। वर्ष 2026 के पहले महीने में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2026) मनाई जाएगी। इस दिन 'मौन व्रत' करने का खास ...और पढ़ें

Mauni Amavasya 2026: मौनी अमावस्या के दिन कैसे करें पितरों को प्रसन्न (Image Source: AI-Generated)

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अभी पढ़ेंधर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मौनी अमावस्या को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन गंगा स्नान और पितरों का तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2026) के दिन गंगा स्नान, दान और पितरों का तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और साधक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह में मौनी अमावस्या मनाई जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मौनी अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में।
मौनी अमावस्या 2026 डेट और शुभ मुहूर्त (Mauni Amavasya 2026 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 जनवरी को देर रात 12 बजकर 03 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 19 जनवरी को देर रात 01 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में साल 2026 की पहली अमावस्या 18 जनवरी (Kab Hai Mauni Amavasya 2026) को मनाई जाएगी, जिसे मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाएगा।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय का समय: प्रातः 07 बजकर 15 मिनट पर
सूर्यास्त का समय: सायं 05 बजकर 49 मिनट पर
चंद्रास्त का समय: सायं 05 बजकर 20 मिनट पर
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त- 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट पर
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट पर
गोधूलि मुहूर्त- सायं 05 बजकर 46 मिनट से 06 बजकर 13 मिनट पर
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से 03 बजे तक
पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान करें। गरीब लोगों या मंदिर में तिल, अन्न और कपड़े समेत आदि चीजों का दान करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा परिवार के सदस्यों को प्राप्त होती है। साथ ही पितृ दोष की समस्या से मुक्ति मिलती है।
मौन व्रत से मिलते हैं ये लाभ
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत करने से साधक का मन शांत रहता है और वाणी शुद्ध होती है। साथ ही आध्यात्मिक उन्नति होती है। आंतरिक शक्ति में वृद्धि होती है और तनाव से मुक्ति मिलती है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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