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    Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर इन बातों का रखें ध्यान, न करें अनदेखा

    मौनी अमावस्या हर साल माघ महीने में आती है। इस दौरान लोग मौन व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। इस व्रत को रखने से आत्मा की शुद्धि होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल मौनी अमावस्या 29 जनवरी (Mauni Amavasya 2025) को मनाई जाएगी तो चलिए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 20 Jan 2025 03:43 PM (IST)
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    Mauni Amavasya 2025 Date: मौनी अमावस्या नियम

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व है। यह अमावस्या माघ महीने में कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन मनाई जाती है। मौनी अमावस्या का दिन पूर्वजों को समर्पित है। इस तिथि पितरों का तर्पण करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मौनी अमावस्या 29 जनवरी (Kab Hai Mauni Amavasya 2025) को मनाई जाएगी। इसे माघ अमावस्या के नाम से भी जाना है।वहीं, इस दिन को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है, तो चलिए उन जरूरी बातों (Mauni Amavasya Important Things) को जानते हैं।

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    मौनी अमावस्या नियम ( Mauni Amavasya Rules)

    • इस दिन सुबह जल्दी उठें और गंगा स्नान करें।
    • जो लोग गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं, वे पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
    • स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
    • इस दिन स्नान करने से पहले कुछ भी न बोलें।
    • इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
    • मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025 significance)के दिन मांस-मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन करने से बचें।
    • इस दिन केवल सात्विक भोजन ही करें।
    • इस दिन पितरों का पिंडदान और तर्पण करें।
    • इस दिन नाखून और बाल काटने से बचना चाहिए।
    • इस मौके पर विवाह, सगाई, मुंडन, नया व्यवसाय और गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
    • अमावस्या पर नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए और मंत्र जाप व ध्यान करना चाहिए।
    • इस तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

    मौनी अमावस्या पूजन मंत्र (Mauni Amavasya Mantra)

    • ॐ पितृ देवतायै नम:
    • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।
    • ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
    • ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।