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    Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर इस खास समय करें स्नान और दान, कट जाएंगे सारे पाप

    माघ अमावस्या का दिन अपने आप में विशेष होता है। इस तिथि पर नए व मांगलिक कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है जबकि यह अवधि धार्मिक कार्यों के लिए शुभ मानी गई है। कहते हैं कि इस दिन (Mauni Amavasya Date) पवित्र नदियों में स्नान जरूर करना चाहिए इससे व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 19 Jan 2025 04:58 PM (IST)
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    Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या स्नान-दान का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माघ माह में आने वाली अमावस्या का सनातन धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। इस दिन लोग कई तरह की धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां करते हैं। इस बार की अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा कहते हैं कि इस तिथि (Mauni Amavasya 2025) पितरों की पूजा और उनका पिंडदान करने से उन्हें मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही इस दौरान गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है।

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    हालांकि अगर स्नान शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो उसका दोगुना शुभ फल प्राप्त होता है, तो यहां पर इसकी तिथि और समय जानते हैं।

    मौनी अमावस्या डेट और टाइम (Mauni Amavasya 2025 Date And Time)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मौनी अमावस्या मनाई जाती है। इस बार ये संयोग 28 जनवरी रात 07 बजकर 35 मिनट पर बनेगा। वहीं, इसकी समापन अगले दिन 29 जनवरी को शाम को 06 बजकर 05 मिनट पर होगा।

    पंचांग को देखते हुए इस बार मौनी अमावस्या 29 जनवरी (Kab Hai Mauni Amavasya 2025) को पड़ रही है। इसे माघ अमावस्या के नाम से भी जाना है।

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    मौनी अमावस्या स्नान-दान मुहूर्त (Mauni Amavasya Snan-Daan Samay)

    पंचांग को देखते हुए मौनी अमावस्या पर स्नान-दान ब्रह्म मुहूर्त में ज्यादा शुभ माना जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त भोर 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 22 मिनट से दोपहर 03 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। वहीं, अमृत काल रात 09 बजकर 19 मिनट से रात 10 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।

    मौनी अमावस्या मंत्र 

    • ॐ पितृ देवतायै नम:
    • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।
    • ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
    • ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्नमाध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।