Masik Shivratri 2025: मासिक शिवरात्रि पर भूलकर भी न करें ये गलतियां, मिलेगा सुख-शांति का आशीर्वाद
मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2025) हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है, जिसे भगवान शिव की पूजा के लिए फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रत ...और पढ़ें

Masik Shivratri 2025: मासिक शिवरात्रि के नियम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान शिव की पूजा के लिए मासिक शिवरात्रि का दिन बहुत फलदायी माना गया है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस बार यह पर्व (Masik Shivratri 2025) आज यानी 18 दिसंबर को मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और सच्चे मन से शिव जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए मासिक शिवरात्रि पर किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए जानते हैं।
मासिक शिवरात्रि पर न करें ये काम (Masik Shivratri 2025 Puja Rituals)

तुलसी चढ़ाना
भगवान शिव की पूजा में तुलसी का उपयोग वर्जित माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने देवी वृंदा (तुलसी जी) के पति जालंधर का वध किया था, इसलिए शिवजी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है। इसकी जगह आप बिल्व पत्र चढ़ा सकते हैं।
केतकी के फूल
महादेव को सफेद फूल प्रिय हैं, लेकिन केतकी और चंपा के फूल उन्हें कभी अर्पित नहीं करने चाहिए। भगवान शिव ने केतकी के फूल को अपनी पूजा से त्याग दिया था। शिव पूजा में धतूरा और मदार के फूल सबसे शुभ माने जाते हैं।
शंख से जल
भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था, इसलिए शिवजी के अभिषेक में शंख का उपयोग वर्जित माना गया है। ऐसे में शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाते समय हमेशा तांबे या पीतल के लोटे का उपयोग करें।
खंडित अक्षत
शिवजी को अक्षत यानी चावल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि चावल का एक भी दाना टूटा हुआ न हो। अक्षत पूर्णता का प्रतीक है, इसलिए हमेशा साबुत चावल ही अर्पित करें।
हल्दी और कुमकुम
शिवलिंग को पुरुष तत्व का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। इसके साथ ही शिवलिंग पर लाल कुमकुम भी नहीं चढ़ता है। आप इसकी जगह भस्म या चंदन चढ़ा सकते हैं।
तामसिक भोजन
शिवरात्रि के दिन तामसिक चीजों का सेवन बिल्कुल न करें। अगर आप व्रत नहीं भी रख रहे हैं, तो भी इस दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
सुख-शांति के लिए क्या करें?
- मासिक शिवरात्रि की पूजा का सबसे अधिक महत्व मध्यरात्रि यानी निशिता काल में होता है।
- शिव जी को तीन पत्तियों वाला और अखंडित बिल्व पत्र ही चढ़ाएं।
- बेलपत्र का चिकना हिस्सा शिवलिंग की ओर होना चाहिए।
- ध्यान रखें कि शिवलिंग की कभी भी पूरी परिक्रमा नहीं की जाती। हमेशा आधी परिक्रमा करें और जलाधारी को न लांघें।
- शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें। इससे महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं।
यह भी पढ़ें- Aaj ka Panchang 18 December 2025: साल की आखिरी मासिक शिवरात्रि पर बन रहा कई योग का शुभ संयोग, पढ़ें पंचांग
यह भी पढ़ें- Masik Shivratri 2025: मासिक शिवरात्रि आज, यहां पढ़ें शिव जी और माता पार्वती की पूजा विधि व मंत्र
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।