Masik Shivratri 2025: मासिक शिवरात्रि आज, यहां पढ़ें शिव जी और माता पार्वती की पूजा विधि व मंत्र
हर महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2025) पर भगवान शिव की पूजा मध्य रात्रि में की जाती है। माना जाता है कि मासिक शिवर ...और पढ़ें
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Masik shivratri 2025 december (Picture Credit: Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पौष माह की मासिक शिवरात्रि आज यानी 18 दिसंबर 2025 को मनाई जा रही है। मासिक शिवरात्रि को महादेव की कृपा प्राप्ति के लिए एक उत्तम तिथि माना गया है। इस दिन पर शिवलिंग का जलाभिषेक करने और विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से जातक को जीवन में अद्भुत परिणाम मिल सकते हैं। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि और महादेव की कृपा प्राप्ति के मंत्र।
मासिक शिवरात्रि मुहूर्त
पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 दिसंबर को देर रात 2 बजकर 32 मिनट से 19 दिसंबर को प्रातः 4 बजकर 59 मिनट तक रहने वाली है। ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत गुरुवार 18 दिसंबर को किया जाएगा। इस दिन पर पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -
मासिक शिवरात्रि की पूजा का समय - रात 11 बजकर 51 मिनट से देर रात 12 बजकर 51 मिनट तक
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शिव जी की पूजा विधि -
- व्रत करने वाले साधक सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवितृ हो जाएं।
- मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव करें।
- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और शिव जी व माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- शिवलिंग का जलाभिषेक करें और कच्चा दूध व गंगाजल भी अर्पित करें।
- भोग के रूप में भगवान शिव को मखाने की खीर, फल व हलवा आदि अर्पित करें।
- माता पार्वती को 16 शृंगार जैसे सिंदूर, चूड़ी आदि चढ़ाएं।
- दीपक जलाकर भगवान शिव व माता पार्वती की आरती करें।
- अंत में सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
भगवान शिव के मंत्र -
1. ॐ नमः शिवाय
2. ॐ नमो भगवते रूद्राय
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात
4. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
5. कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि
माता पार्वती के मंत्र -
1. ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः
2. ऊँ गौरये नमः
3. ऊँ साम्ब शिवाय नमः’
4. ऊँ पार्वत्यै नमः
5. हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।
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