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    Mangal Stotra: मंगलवार के दिन पूजा के समय जरूर करें मंगल कवच का पाठ, पूरी होगी मनचाही मुराद

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 01 Apr 2024 08:35 PM (IST)

    ज्योतिष भी कुंडली में मंगल मजबूत करने के लिए मंगलवार के दिन मंगल देव की पूजा करने की सलाह देते हैं। धार्मिक मत है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा ...और पढ़ें

    Mangal Stotra: मंगलवार के दिन पूजा के समय जरूर करें मंगल कवच का पाठ
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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mangal Stotra: सनातन धर्म में मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्ति हेतु मंगलवार का व्रत किया जाता है। इसके अलावा, मंगलवार के दिन मंगल देव की भी उपासना की जाती है। ज्योतिष भी कुंडली में मंगल मजबूत करने के लिए मंगलवार के दिन मंगल देव की पूजा करने की सलाह देते हैं। धार्मिक मत है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख, संकट, भय, कष्ट, रोग, शोक दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन विधि-विधान से बजरंगबली की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय मंगल स्तोत्र का पाठ करें।

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    मंगल कवच

    रक्तांबरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।

    धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः ॥

    अंगारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः ।

    श्रवौ रक्तांबरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥

    नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।

    भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा ॥

    वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं पातु लोहितः।

    कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः ॥

    जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा।

    सर्वण्यन्यानि चांगानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥

    या इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रु निवारणम् ।

    भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्व सिद्धिदम् ॥

    सर्वरोगहरं चैव सर्वसंपत्प्रदं शुभम् ।

    भुक्तिमुक्तिप्रदं नृणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ॥

    रोगबंधविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः ॥

    मंगल स्तोत्र

    रक्ताम्बरो रक्तवपु: किरीटी, चतुर्मुखो मेघगदो गदाधृक ।

    धरासुत: शक्तिधरश्च शूली, सदा मम स्याद वरद: प्रशान्त:।।

    धरणीगर्भसंभूतं विद्युतेजसमप्रभम ।

    कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम ।।

    ऋणहर्त्रे नमस्तुभ्यं दु:खदारिद्रनाशिने ।

    नमामि द्योतमानाय सर्वकल्याणकारिणे ।।

    देवदानवगन्धर्वयक्षराक्षसपन्नगा:।

    सुखं यान्ति यतस्तस्मै नमो धरणि सूनवे ।।

    यो वक्रगतिमापन्नो नृणां विघ्नं प्रयच्छति ।

    पूजित: सुखसौभाग्यं तस्मै क्ष्मासूनवे नम: ।।

    प्रसादं कुरु मे नाथ मंगलप्रद मंगल ।

    मेषवाहन रुद्रात्मन पुत्रान देहि धनं यश:।।

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    डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'