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    Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी, कैसे शुरू हुई ये परंपरा?

    सनातन धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार अपने आप में बहुत खास माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा होती है। इस साल यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा-पाठ और दान-पुण्य जैसे शुभ कार्य करने चाहिए। वहीं इस शुभ दिन (Makar Sankranti Rituals) पर खिचड़ी खाने का भी महत्व है तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ बातों को जानते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 03 Jan 2025 01:02 PM (IST)
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    Makar Sankranti 2025: कब शुरू हुई खिचड़ी खाने की परंपरा?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मकर संक्रांति का दिन हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन लोग गंगा स्नान, दान और पूजा जैसे विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं। यह दिन सूर्य के मकर राशि में गोचर, गर्म दिनों के आगमन और ठंड के अंत का प्रतीक माना जाता है। संक्रांति का अर्थ है सूर्य का परिवर्तन और मकर संक्रांति साल में पड़ने वाली सभी 12 संक्रांतियों में से सबसे महत्वपूर्ण है। इस दिन (Makar Sankranti 2025) भगवान सूर्य की पूजा का विधान है।

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    वहीं, इस मौके पर काफी लंबे समय से खिचड़ी खाने की परंपरा चली आ रही है, जिसका पालन लोग आज भी करते हैं, तो चलिए इसके पीछे का कारण जानते हैं।

    कब शुरू हुई खिचड़ी खाने की परंपरा? (Makar Sankranti Khichdi Tradition)

    एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब भारत पर खिलजी ने आक्रमण किया था, उस युद्ध में भारत के कई वीर योद्धा और योगी भी शामिल थे। चारों तरफ लड़ाई-झगड़े का माहौल था। इस आक्रमण की वजह से किसी को खाने का समय नहीं मिल पाता था, जिस वजह से लोग धीरे-धीरे कमजोर होते जा रहे थे। इस समस्या का हल निकालते हुए गुरु गोरखनाथ ने सभी को दाल, चावल और सब्जियां मिलाकर एक साथ पकाने को कहा, जो सभी के लिए बेहद आसान था।

    साथ ही इससे लोगों का पेट भी आसानी से भर जाता था। खिलजी को हराने के बाद गोरखनाथ समेत सभी योगियों ने एक साथ मिलकर मकर संक्रांति के मौके पर इस नए पकवान को बनाया, बांटा और इसे खिचड़ी का नाम दिया। तभी से लेकर आज तक मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा चली आ रही है।

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    खिचड़ी का दान भी जरूर करें

    आपको बता दें, खिचड़ी बेहद ही पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन है। इसका संबंध सूर्य और शनि से है। कहते हैं, इसे (Makar Sankranti significance) खाने से परिवार में खुशहाली आती है। वहीं, मकर संक्रांति पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इसलिए इस शुभ दिन पर खिचड़ी खाने के साथ-साथ दान भी करनी चाहिए, क्योंकि दान इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य माना गया है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।