Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर क्यों खाया जाता है दही-चूड़ा? यहां पढ़ें इसका धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बहुत ही शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। इस साल यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। वहीं इस दिन को लेकर लोगों की अपनी - अपनी मान्यताएं हैं जिसे वह श्रद्धापूर्वक मानते हैं तो आइए इस शुभ दिन (Makar Sankranti Rituals) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं जो इस प्रकार हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मकर संक्रांति का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व फसल के मौसम की शुरुआत और ठंड के अंत का प्रतीक है। कहा जाता है कि जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने का भी विधान है। संक्रांति का अर्थ है सूर्य की गति। वहीं, यह साल (Makar Sankranti 2025) में पड़ने वाली सभी 12 संक्रांतियों में से सबसे महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही इस दिन कुछ स्थानों पर दही-चूड़ा (Makar Sankranti Dahi-Chooda Significance) भी खाया जाता है, तो आइए इसके पीछे का कारण जानते हैं।
क्यों खाया जाता है दही-चूड़ा? (Why is Dahi-Chuda Offered)
मकर संक्रांति के अवसर पर बिहार और उत्तर प्रदेश में दही-चूड़ा खाने का विशेष महत्व है। इस व्यंजन को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन दही-चूड़ा खाने से घर में खुशहाली आती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी यह काफी ज्यादा फायदेमंद है। यही वजह है कि इस रस्म को इतना ज्यादा महत्व दिया जाता है।
स्नान-दान शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2025 Snan-Daan Muhurat)
इस शुभ दिन पर महा पुण्य काल सुबह 9 बजकर 3 मिनट से 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा, जो 1 घंटा 45 मिनट तक का होगा। माना जाता है कि इस दौरान स्नान-दान कर सकते हैं, क्योंकि यह समय शास्त्रों में बहुत फलदायी माना जाता है।
मकर संक्रांति डेट और शुभ मुहूर्त ( Makar Sankranti 2025 Date And Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 44 मिनट में प्रवेश करेंगे, जिस वजह से मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी, 2025 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। वहीं, मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है, जिस वजह से इस साल लोहड़ी का त्योहार 13 जनवरी दिन सोमवार को मनाया जाएगा।
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