Lohri 2025: कब और क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार, जानिए इसका महत्व
लोहड़ी का पर्व बेहद शुभ माना जाता है। इस साल यह पर्व (Lohri 2025 Date) 13 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। कहते हैं कि पंजाबी परिवारों में नए जोड़े की पहली लोहड़ी बहुत विशेष होती है क्योंकि इस दौरान उन्हें आशीर्वाद देने के लिए फसल उत्सव को भव्यता से मनाया जाता है। इस विशेष दिन (Lohri) को लेकर कई सारे नियम हैं जिनका अपना-अपना महत्व है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक लोहड़ी है। मुख्य रूप से यह सिखों और हिंदुओं में मनाई जाती है। यह त्योहार शीतकालीन संक्रांति के अंत और रबी फसलों की कटाई (Why Lohri Festival Celebrated) का प्रतीक है। यह त्योहार हर साल 13 जनवरी को बहुत उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग रंगीन पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और अलाव के चारों ओर धूमधाम से नृत्य व गायन करते हैं, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।
कब मनाया जाएगा लोहड़ी का पर्व? ( Lohri Date And Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन इस बार सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 44 मिनट में प्रवेश करेंगे, जिस वजह से मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी, 2025 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।
वहीं, मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है। ऐसे में इस साल लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी दिन सोमवार को मनाया जाएगा।
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लोहड़ी का धार्मिक महत्व (Lohri 2025 Importance)
लोहड़ी का त्योहार बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह रबी फसलों की कटाई और सर्दियों के दिनों की समाप्ति का प्रतीक है। इस दिन लोग भगवान सूर्य और अग्नि देव की पूजा करते हैं और उन्हें अच्छी फसल के लिए धन्यवाद देते हैं। यह दिन सभी जगह अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
यह त्योहार किसानों के लिए भी बहुत महत्व रखता है। भारतीय कैलेंडर के अनुसार, लोहड़ी पौष महीने में आती है और इसके बाद मकर संक्रांति मनाई जाती है।
सूर्य देव उपासना मंत्र
- ऊं ह्यं ह्यीं ह्यौं सः सूर्याय नमः।।
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।
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