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    Vidur Niti: महात्मा विदुर के अनुसार एक व्यक्ति इन कर्मों के कारण कहलाता है मूर्ख

    By Shantanoo MishraEdited By:
    Updated: Sun, 27 Nov 2022 03:35 PM (IST)

    Vidur Niti महात्मा विदुर की नीतियों को जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत सहायक माना जाता है। महाराजा ध्रितराष्ट्र के साथ हुए सम्वाद में महात्मा विदुर ने जीवन के गूढ़ सत्य को बताया था। उन्होंने यह भी बताया है कि व्यक्ति को किस तरह जीवनयापन करना चाहिए।

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    Vidur Niti: महात्मा विदुर से जानिए क्या है मूर्ख व्यक्ति की पहचान।

    नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Vidur Niti: महाभारत काल में महात्मा विदुर को सबसे बुद्धिमान व्यक्तियों में गिना जाता था। यही कारण कि उनकी नीतियों को वर्तमान समय भी पढ़ा और सुना जाता है। बता दें कि महाराज ध्रितराष्ट्र और महात्मा विदुर के बीच हुए संवाद का संकलन को ही विदुर नीति के रूप में पढ़ा जाता है। विदुर नीति में जीवन में सफलता कैसे पाई जाए, इस विषय में विस्तार से बताया गया है। इसके साथ महात्मा विदुर ने 'व्यक्ति को किस तरह अपना जीवनयापन करना चाहिए' इसके विषय में भी श्लोक के माध्यम से बताया है। विदुर नीति के भाग में आइए जानते हैं कि किस प्रकार के व्यवहार के कारण व्यक्ति को समाज में मुर्ख कहा जाता है।

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    Vidur Niti: ऐसे व्यक्ति को बताया गया है मूर्ख

    अमित्रं कुरुते मित्रं मित्रं द्वेष्टि हिनस्ति च ।

    कर्म चारभते दुष्टं तमाहुर्मूढचेतसम् ।।

    महात्मा विदुर ने इस श्लोक के माध्यम से बताया है कि जो व्यक्ति अपने सच्चे दोस्तों और परिवार के सदस्यों को दुःख देता है व ईर्ष्या करता है और दुष्ट व्यक्ति से दोस्ती करता है। ऐसा ही व्यक्ति हमेशा बुरे कर्मों में लिप्त रहता है और ऐसे ही व्यक्ति को मुर्ख कहा जाता है। इसलिए सज्जन व्यक्ति को दुष्ट लोगों की संगती से दूर रहना चाहिए और अपने परिवार के विचारों का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से सफलता अपने-आप प्राप्त हो जाती है और समाज में कुल का नाम ऊंचा होता है।

    संसारयति कृत्यानि सर्वत्र विचिकित्सते ।

    चिरं करोति क्षिप्रार्थे स मूढो भरतर्षभ ।।

    इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि जो व्यक्ति हर समय अनावश्यक कामों में लिप्त रहता है और सभी को संदेह की दृष्टि से देखता है। साथ ही जल्दी खत्म हो जाने वाले कार्य को लम्बे समय तक टालता रहता है, ऐसे ही व्यक्ति को मूर्ख कहा जाता है। इसलिए श्रेष्ठ व्यक्ति कभी भी अपना समय अनावश्यक कार्यों में नहीं बर्बाद करता है और वह सभी को समान दृष्टि से देखता है व उनके साथ अच्छा व्यवहार करता है। इसलिए ऐसे ही व्यक्ति को समाज में मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

    Vidur Niti: महात्मा विदुर से जानिए किस तरह का व्यवहार होता है व्यक्ति का आभूषण

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।