Vidur Niti: महात्मा विदुर से जानिए क्या है ज्ञान का सही मतलब
Vidur Niti महात्मा विदुर ने जीवन के विभिन्न विषयों ज्ञान दिया था। उनके और महाराज धृतराष्ट्र के बीच हुए संवाद को ही विदुर नीति के नाम से जाना जाता है। इन नीतियों के माध्यम से वह सभी बातें बताई गई हैं जिनसे व्यक्ति जीवन में सफल बन सकता है।

नई दिल्ली, Vidur Niti: कई धर्माधिकारियों ने महाभारत महापुराण को जीवन दर्पण बताया है। इसमें वर्णित सभी पात्रों का प्रभाव हमारे जीवन पर किसी न किसी रूप से जरूर पड़ता है। इन सबमें महात्मा विदुर को आज भी स्मरण किया जाता है और उनकी नीतियों को वर्तमान समय भी पढ़ा जाता है। उन्होंने जिस प्रकार से जीवन को सरल और सफल बनाने के लिए नीतियों को बताया था जो आज भी कई युवाओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं। विदुर नीति (Vidur Niti Gyan) के इस भाग में जानिए कि व्यक्ति के लिए ज्ञान का सही अर्थ क्या है।
जानिए क्या है ज्ञान का सही अर्थ (Vidur Niti in Hindi)
प्रवृत्तवाक् विचित्रकथ ऊहवान् प्रतिभानवान् ।
आशु ग्रन्थस्य वक्ता च यः स पण्डित उच्यते ।।
इस श्लोक में महात्मा विदुर ने बताया है कि जो व्यक्ति बोलने की कला में निपुण है, साथ ही जिसकी वाणी दूसरों को आकर्षित करती है। जो ग्रन्थ अथवा शास्त्रों के मूल ज्ञान को बता सकता है और जो तर्क-वितर्क में कुशल होता है उसे ही ज्ञानी व्यक्ति कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि केवल ज्ञान अर्जित करना ही व्यक्ति का कार्य नहीं है बल्कि उस ज्ञान का प्रचार-प्रसार भी व्यक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसा करने से वह अपने आसपास कई प्रकार के सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
न हृष्यत्यात्मसम्माने नावमानेन तप्यते ।
गाङ्गो ह्रद ईवाक्षोभ्यो यः स पण्डित उच्यते ।।
इस श्लोक में महात्मा विदुर (Mahatma Vidur) ने बताया है कि जो व्यक्ति अपार सम्मान प्राप्त करके भी अहंकार नहीं करता है। अपमान के बाद भी पीड़ित नहीं होता है और जलाशय के समान क्षोभ अर्थात क्षोभ से रहित रहता है और शांत प्रवृत्ति का रहता है। उसे ही ज्ञानी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्ञान से रहित व्यक्ति थोड़े से सम्मान पाने पर भी आसमान और पाताल एक कर देता है वहीं ज्ञानी व्यक्ति अपने ज्ञान और उसके द्वारा प्राप्त किए गए सम्मान पर कभी घमंड नहीं करता है। सदैव जल के समान निर्मल रहता है।
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