Mahabharata: 18 दिनों तक चला महाभारत का युद्ध, इन दिनों में घटी प्रमुख घटनाएं
महाभारत का युद्ध धर्म और अधर्म के बीच का युद्ध माना जाता है। इस युद्ध में एक तरह कौरवों की सेना थी तो वहीं दूसरी ओर पांडव सेना। कौरवों को इस भीषण युद्ध में हार का सामना करना पड़ा था। चलिए जानते हैं कि इन 18 दिनों में किन-किन दिनों पर महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान श्रीकृष्ण की सहायता से युद्ध में पांडवों की जीत हुई। युद्ध के परिणाम स्वरूप गांधारी और धृतराष्ट्र के सभ 100 पुत्र मारे गए। 18 दिनों तक चले इस युद्ध में भीष्म के बाणों में शय्या पर लेटने से लेकर द्रोणाचार्य की मृक्यु तक कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी। चलिए जानते हैं इसके बारे में।
शिखंडी बना भीष्म की हार का कारण
युद्ध के 10वें दिन जब अर्जुन और भीष्म पितामह के बीच संघर्ष जारी था, तब अर्जुन ने शिखंडी को आगे कर दिया। शिखंडी पिछले जन्म में एक स्त्री थी, जिसका नाम अंबा था। अंबा ने यह प्रतिज्ञा ली थी, कि वह भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी। भीष्म ने शिखंडी को स्त्री मानते हुए उसपर बाण नहीं चलाए। मौके का फायदा उठाकर अर्जुन ने पर भीष्म पितामह पर बाणों की बौछार कर दी और भीष्म को बाणों की शय्या पर लेटा दिया।
13वें और 14वें दिन क्या हुआ
13वें दिन युद्ध के नियमों की अवहेलना करते हुए द्रोण, अश्वत्थामा, बृहद्बल, कृतवर्मा आदि छह महारथियों ने निहत्थे अभिमन्यु को चारों ओर से घेर कर उसकी हत्या कर दी थी। इसके अगले दिन यानी 14वें दिन अर्जुन ने अपने पुत्र की मृत्यु का बदला लेने के लिए जयद्रथ के वध की प्रतिज्ञा ली, क्योंकि अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाने में जयद्रथ का हाथ था।
तब डर के कारण जयद्रथ छिप गया, जिसे बाहर निकालने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने सूर्य पर ग्रहण लगा दिया। जयद्रथ को लगा कि अब सूर्यास्त हो चुका है और वह स्वयं अर्जुन के सामने आ गया। तभी भगवान कृष्ण की माया से पुनः सूर्य दिखने लगा और मौका पाकर अर्जुन ने जयद्रथ का वध कर दिया, जिससे उसकी प्रतिज्ञा पूरी हुई।
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द्रोणाचार्य से बोला ये झूठ
युद्ध के 15वें दिन पांडव छल से द्रोणाचार्य को यह विश्वास दिला देते हैं कि उसका पुत्र अश्वत्थामा मारा गया, लेकिन असल में अश्वत्थामा नामक एक हाथी मारा जाता है। इसके बाद द्रोणाचार्य जमीन पर बैठकर विलाप करने लगते हैं। इस मौके पाकर धृष्टद्युम्न द्रोण का सिर काटकर वध कर देता है।
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16वां और 17वां दिन
युद्ध के 16वें दिन भीम दुःशासन का वध कर देता है और अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार, छाती फाड़कर रक्त पीता है। वहीं सत्रहवें दिन कर्ण के रथ का पहिया भूमि में धंस जाता है, जिसे वह रथ से नीचे उतकर निकालने लगता है। उसी समय भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन कर्ण का वध कर देता है।
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दुर्योधन की मृत्यु के साथ पांडवों की जीत
युद्ध के आखिरी दिन यानी 18वें दिन भीम दुर्योधन के बचे हुए सभी भाइयों को मार देता है और सहदेव शकुनि को मार देता है। डर के कारण दुर्योधन तालाब में जा छिपता है। लेकिन भीम द्वारा ललकारे जाने पर वह भीम से गदा युद्ध करता है। भीम भगवान श्रीकृष्ण के इशारे पर दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करता है, जिससे दुर्योधन की मृत्यु हो जाती है और इस प्रकार पांडवों की जीत होती है।
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