Mahabharata Story: कैसे और किससे हुआ धृतराष्ट्र और पाण्डु का विवाह, विदुर की कहानी भी है खास
महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। भगवान श्रीकृष्ण भी इसके गवाह रहे हालांकि उन्होंने युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया लेकिन उन्होंने युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धृतराष्ट्र पाण्डु और विदुर भी महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक रहे हैं। इसके जन्म की कथा की तरह ही इनके विवाह की कथा भी काफी आश्रचर्कित करने वाली है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महर्षि व्यास द्वारा लिखे गए महाभारत ग्रंथ (Mahabharata Story) में ऐसे कई कहानियां मौजूद हैं, जो किसी को भी हैरत में डाल सकती हैं। आज हम आपको धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर के विवाह से जुड़ी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं कि इन तीनों का विवाह कैसे और किससे हुआ था।
इस तरह हुआ धृतराष्ट्र का विवाह
भीष्म के देखरेख में धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा विदुर तीनों की नीतिशास्त्र, इतिहास, पुराण और विद्या के अन्य क्षेत्रों में निपुण हो गए थे। तीनों में अगल-अगल गुण थें, जो उन्हें श्रेष्ठ बनाते ते। पाण्डु श्रेष्ठ धनुर्धर थे, तो वहीं धृतराष्ट्र सर्वाधिक बलवान और विदुर धर्मपरायण एवं नीतिपरायण थे। अब भीष्म ने तीनों के विवाह का विचार करना शुरू किया। गांधार राज की पुत्री गांधारी अत्यन्त सुन्दर और गुणों से परिपूर्ण थी।
भीष्म को ज्ञात हुआ कि गांधारी, धृतराष्ट्र के लिए एक उपयुक्त पत्नी साबित होगी। तब भीष्म ने गांधार राज के पास विवाह का संदेश भेजा। गांधार राज ने धृतराष्ट्र के बारे में जानते हुए भी इस संबंध को स्वीकार कर लिया। लेकिन यह बात गांधारी को नहीं बताई गई। जब बात में गांधारी को यह पता चला कि उसका पति दृष्टिहीन है, तो उसने अपनी भी अपनी आंखो पर पट्टी बांध ली।
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कुंती ने पहनाई जयमाला
यदुवंशी राजा शूरसेन की कुंती नामक एक सुन्दरी पुत्री थी, जिसका एक नाम पृथा भी था। कुंती जब विवाह योग्य हुई तो उसका स्वयंवर किया गया। जिसमें कई राजा और राजकुमारों ने भाग लिया। लेकिन कुंती ने पाण्डु को जयमाला पहनाकर पति रूप से स्वीकार कर लिया। इस तरह पाण्डु और कुन्ती का विवाह सम्पन्न हुआ। वहीं पांडु का दूसरा विवाह मद्रराज शल्व की बहन माद्री के साथ हुआ। वहीं दासी पुत्र विदुर का विवाह भीष्म ने राजा देवक के यहां काम करने वाली एक सुंदर दासी पुत्री से किया।
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