Mahabharata: गांधारी ने एक नहीं बल्कि इतनी बार खोली अपनी पट्टी, जानिए क्या हुआ इसका असर
महाभारत का युद्ध मुख्य रूप से एक ही कुल के कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था। महाभारत के मुख्य पात्र रहे कर्ण की गिनती महाभारत के महान योद्धाओं में की जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर कब-कब और क्यों गांधारी ने अपने आंखों की पट्टी खोली थी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। विवाह के बाद ही गांधारी ने अपने नेत्रों पर पट्टी बांध ली थी। इस कथा के बारे में तो लगभग सभी को ज्ञात होगा कि एक बार गांधारी ने पुत्र मोह के चलते अपनी आंखों की पट्टी खोली थी। लेकिन महाभारत (Mahabharata Katha) में यह कथा मिलती है कि गांधारी ने कुल 2 बार अपनी आंखों की पट्टी खोली थी। चलिए जानते हैं इस बारे में।
गांधारी ने क्यों बांधी थी पट्टी
जब गांधारी को पता चला कि उनके होने वाले पति नेत्रहीन हैं, तो उन्होंने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। गांधारी ने प्रण लिया था कि जब उनके पति ही दुनिया नहीं देख सकते, तो वे भी नहीं देखेंगी। हालांकि ऐसा दो बार हुआ, जब अपने पुत्र के चलते गांधारी ने अपनी आंखों की पट्टी हटाई थी।
मिला था ये वरदान
महाभारत में कथा मिलती है कि गांधारी भगवान शिव में असीम आस्था थी। उन्हें भगवान शिव से ही यह वरदान मिला था कि वह अपनी दिव्य दृष्टि से किसी भी व्यक्ति के शरीर को वज्र के समान कठोर बना सकती है। अपने इस वरदान का उपयोग गांधारी ने अपने पुत्र दुर्योधन के शरीर को वज्र की तरह कठोर बनाने के लिए किया था, ताकि युद्ध में उस विजय की प्राप्ति हो सके।
पहली बार तभी गांधारी ने अपने आंखों की पट्टी खोली थी। हालांकि कृष्ण जी की एक चाल के कारण दुर्योधन का पूरा शरीर व्रज का नहीं हो सका था, जिस कारण दुर्योधन की हार हुई और अंत में वह मृत्यु को प्राप्त हुआ।
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(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
दूसरी बार कब खोली पट्टी
महाभारत के युद्ध की समाप्ति के बाद, जब गांधारी को दुर्योधन की मृत्यु का समाचार मिला, तो वह अपने पुत्र को देखने के लिए युद्ध भूमि में गईं। तब उन्होंने दुर्योधन को आखिरी बार देखने के लिए दूसरी बार अपनी आंखों से पट्टी हटाई थी।
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