Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mahabharata: गांधारी ने एक नहीं बल्कि इतनी बार खोली अपनी पट्टी, जानिए क्या हुआ इसका असर

    Updated: Mon, 05 May 2025 03:05 PM (IST)

    महाभारत का युद्ध मुख्य रूप से एक ही कुल के कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था। महाभारत के मुख्य पात्र रहे कर्ण की गिनती महाभारत के महान योद्धाओं में की जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर कब-कब और क्यों गांधारी ने अपने आंखों की पट्टी खोली थी।

    Hero Image
    गांधारी ने क्यों और कब खोली पट्टी?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। विवाह के बाद ही गांधारी ने अपने नेत्रों पर पट्टी बांध ली थी। इस कथा के बारे में तो लगभग सभी को ज्ञात होगा कि एक बार गांधारी ने पुत्र मोह के चलते अपनी आंखों की पट्टी खोली थी। लेकिन महाभारत  (Mahabharata Katha) में यह कथा मिलती है कि गांधारी ने कुल 2 बार अपनी आंखों की पट्टी खोली थी। चलिए जानते हैं इस बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गांधारी ने क्यों बांधी थी पट्टी

    जब गांधारी को पता चला कि उनके होने वाले पति नेत्रहीन हैं, तो उन्होंने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी। गांधारी ने प्रण लिया था कि जब उनके पति ही दुनिया नहीं देख सकते, तो वे भी नहीं देखेंगी। हालांकि ऐसा दो बार हुआ, जब अपने पुत्र के चलते गांधारी ने अपनी आंखों की पट्टी हटाई थी।

    मिला था ये वरदान

    महाभारत में कथा मिलती है कि गांधारी भगवान शिव में असीम आस्था थी। उन्हें भगवान शिव से ही यह वरदान मिला था कि वह अपनी दिव्य दृष्टि से किसी भी व्यक्ति के शरीर को वज्र के समान कठोर बना  सकती है। अपने इस वरदान का उपयोग गांधारी ने अपने पुत्र दुर्योधन के शरीर को वज्र की तरह कठोर बनाने के लिए किया था, ताकि युद्ध में उस विजय की प्राप्ति हो सके।

    पहली बार तभी गांधारी ने अपने आंखों की पट्टी खोली थी। हालांकि कृष्ण जी की एक चाल के कारण दुर्योधन का पूरा शरीर व्रज का नहीं हो सका था, जिस कारण दुर्योधन की हार हुई और अंत में वह मृत्यु को प्राप्त हुआ।

    यह भी पढ़ें - Kedarnath Yatra 2025: क्यों अलग है केदारनाथ का शिवलिंग? पांडव से जुड़ा है रहस्य

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    दूसरी बार कब खोली पट्टी

    महाभारत के युद्ध की समाप्ति के बाद, जब गांधारी को दुर्योधन की मृत्यु का समाचार मिला, तो वह अपने पुत्र को देखने के लिए युद्ध भूमि में गईं। तब उन्होंने दुर्योधन को आखिरी बार देखने के लिए दूसरी बार अपनी आंखों से पट्टी हटाई थी।

    यह भी पढ़ें - Mahabharata Story: महाभारत के इस योद्धा का दो माताओं के गर्भ से हुआ जन्म, छल से हुई थी मृत्यु

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।