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    Maghi Ganesh Jayanti 2025: कब और क्यों मनाई जाती है गणेश जयंती, अभी नोट कर लें शुभ मुहूर्त

    Updated: Tue, 28 Jan 2025 05:54 PM (IST)

    गणेश जयंती (Maghi Ganesh Jayanti 2025) भगवान श्रीगणेश के अवतरण-दिवस के रूप में मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से गणेश जी की पूजा-अर्चना से करने से साधक को बुद्धि बल और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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    Maghi Ganesh Jayanti 2025 गणेश जयंती पर कैसे करें पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश को किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले विशेष रूप से याद किया जाता है, इसलिए वह प्रथम पूज्य देव कहलाते हैं। गणेश जयंती को माघी गणेश जयंती के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस तिथि पर विनायक चतुर्थी का व्रत भी किया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं गणेश जयंती का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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    कब मनाई जाएगी गणेश जयंती

    माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 01 फरवरी 01 को सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 02 फरवरी को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में गणेश जयंती का पर्व (Maghi Ganesh Jayanti 2025 Significance) शनिवार, 01 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दौरान गणेश जी की पूजा का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

    मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 38 मिनट से दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक

    (Picture Credit: Freepik)

    गणेश जी की पूजा विधि (Ganesh Jayanti puja vidh)

    सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर गणेश जी का ध्यान करें। स्नान आदि से निवृत होने के बाद एक चौकी पर हरे रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। अब गणेश जी को जल, दूध, शहद और दही से स्नान कराएं। इसके बाद धूप-दीप जलाएं और गणेश जी को फूल, रोली, दुर्वा, सुपारी, फल और मिठाई आदि अर्पित करें। अंत में गणेश जी के मंत्रों व आरती का पाठ करें और सभी में प्रसाद बांटें।

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    (Picture Credit: Freepik)

    गणेश जी के मंत्र

    • ॥ ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥
    • श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
    • ॥ ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
    • 'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः'
    • ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।