Magh Purnima 2025: इस स्तोत्र के पाठ से मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न, धन लाभ के बनेंगे योग
पूर्णिमा का पर्व भगवान विष्णु चंद्र देव को समर्पित है। हर महीने के आखिरी में पूर्णिमा व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान और दान करने से आर्थिक तंगी की समस्या दूर होती है। साथ ही धन लाभ के योग बनते हैं। अगर आप धन की प्राप्ति चाहते हैं तो माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2025) के दिन अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माघ माह की पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस बार माघ पूर्णिमा 12 फरवरी (Magh Purnima 2025 Date) को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा अपनी सभी कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इसी कारण इस दिन चंद्र देव के संग श्रीहरि और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसे में माघ पूर्णिमा के दिन अष्टलक्ष्मी स्तोत्र (Ashtami Lakshmi Stotram Lyrics) के पाठ के द्वारा मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के पाठ से मिलते हैं ये लाभ
- मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
- आर्थिक तंगी दूर होती है।
- कारोबार में वृद्धि होती है।
- निवेश करने से लाभ मिलता है।
- धन से जुड़ी परेशानी दूर होती है।
- तिजोरी कभी खाली नहीं होती।
- सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
॥ अष्टलक्ष्मी स्तोत्र॥
॥ आदिलक्ष्मि ॥
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,चन्द्र सहोदरि हेममये
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि,मञ्जुळभाषिणि वेदनुते।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित,सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,आदिलक्ष्मि सदा पालय माम्॥1॥
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॥ धान्यलक्ष्मि ॥
अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि,वैदिकरूपिणि वेदमये
क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि,मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि,देवगणाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम्॥2॥
॥ धैर्यलक्ष्मि ॥
जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि,मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद,ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते।
भवभयहारिणि पापविमोचनि,साधुजनाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूधन कामिनि,धैर्यलक्ष्मी सदा पालय माम्॥3॥
॥ गजलक्ष्मि ॥
जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि,सर्वफलप्रद शास्त्रमये
रधगज तुरगपदाति समावृत,परिजनमण्डित लोकनुते।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित,तापनिवारिणि पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम्॥4॥
॥ सन्तानलक्ष्मि ॥
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि,रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि,स्वरसप्त भूषित गाननुते।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर,मानववन्दित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम्॥5॥
॥ विजयलक्ष्मि ॥
जय कमलासनि सद्गतिदायिनि,ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर,भूषित वासित वाद्यनुते।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित,शङ्कर देशिक मान्य पदे
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विजयलक्ष्मी सदा पालय माम्॥6॥
॥ विद्यालक्ष्मि ॥
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि,शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमयभूषित कर्णविभूषण,शान्तिसमावृत हास्यमुखे।
नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि,कामित फलप्रद हस्तयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्॥7॥
॥ धनलक्ष्मि ॥
धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि-धिंधिमि,दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम,शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते।
वेदपूराणेतिहास सुपूजित,वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम्॥8॥
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