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    Masik Kalashtami 2025: माघ माह में कब है कालाष्टमी? एक क्लिक में पढ़ें पूजा का सही समय

    कालाष्टमी (Masik Kalashtami 2025) का त्योहार काल भैरव देव को प्रसन्न करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस पर्व को हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी मनाया जाता है। इस दिन काल भैरव की पूजा करने से घर में उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। आइए जानते हैं माघ माह में कब मनाई जाएगी कालाष्टमी।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Fri, 17 Jan 2025 02:40 PM (IST)
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    Kalashtami 2025: कालाष्टमी पर ऐसे करें पूजा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मासिक कालाष्टमी के पर्व को अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विधिपूर्वक उपासना करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों का दान करने से अन्न और धन की कमी नहीं होती है।

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    इस दिन सभी सुखों को पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। आइए, माघ माह में पड़ने वाली कालाष्टमी (Kalashtami 2025) की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानते हैं।

    मासिक कालाष्टमी शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 21 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 39 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं, अष्टमी तिथि 22 जनवरी को दोपहर में 03 बजकर 18 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में माघ माह की कालाष्टमी 21 जनवरी (Kalashtami 2025 Date) को मनाई जाएगी।

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    शुभ समय

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से 03 बजकर 01 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 49 मिनट से 06 बजकर 16 मिनट तक

    सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 14 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 51 मिनट पर

    चंद्रोदय- रात 12 बजकर 41 मिनट पर

    चंद्रास्त- सुबह 11 बजकर 20 मिनट पर

    इस विधि से करें पूजा

    • कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
    • सूर्य देव को जल अर्पित करें।
    • घर और मंदिर की सफाई करें।
    • भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करें।
    • दीपक जलाकर आरती करें।
    • मंत्रों का जप करें।
    • विशेष चीजों का भोग लगाएं।
    • जीवन में सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
    • अन्न और धन का दान करें।

    इन कामों को करने से बचें

    • तामसिक चीजों का सेवन न करें।
    • किसी से लड़ाई-झगड़ा भूलकर भी न करें।
    • बड़े-बुजुर्गों और महिलाओं का अपमान न करें।

    पूजा के दौरान करें इन मंत्रो का जप

    1. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।

    2. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।

    3. ॐ ह्रीं बटुक! शापम विमोचय विमोचय ह्रीं कलीं।

    4. र्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम् ।

    द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये ।।

    5. ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।

    6. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्नमाध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।