Magh Bihu 2025: जनवरी में इस दिन मनाया जाएगा माघ बिहू, जानें इस त्योहार से जुड़ी दिलचस्प बातें
असल में बिहू (Magh Bihu 2025) के पर्व का फसल से भी गहरा नाता है। इस दिन पर असम समाज के लोग अग्नि देव को फसल की अच्छी पैदावार के लिए धन्यवाद करते हैं। साथ ही यह कामना की जाती है कि आने वाले समय में भी फसल की अच्छी उपज भी हो। इस दिन को बहुत ही पारम्परिक तरीके से मनाया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में माघ बिहू (Magh Bihu 2025 kab hai) का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है, जो कम-से-कम एक सप्ताह तक चलता है। असल में यह पर्व असमिया नववर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है। साथ ही इस पर्व को वसंत ऋतु के आने की खुशी में भी मनाया जाता है। चलिए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
इस दिन से हो रही है शुरुआत (Magh Bihu Date and time)
साल 2025 में माघ बिहु पर्व की शुरुआत बुधवार, 15 जनवरी से हो रही है। ऐसे में माघ बिहु के दिन संक्रान्ति का क्षण कुछ इस प्रकार रहने वाला है -
माघ बिहू के दिन संक्रांति का क्षण - 14 जनवरी, सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर
इस पर्व की जरूरी बातें (Magh Bihu 2025 Significance)
असम में माघ बिहू को भोगाली बिहू और माघर दोमाही के नाम से भी जाना जाता है। माघ बिहू से पहले के दिन को उरुका कहा जाता है। यह पर्व असल में अग्नि देव को समर्पित माना जाता है। इस त्योहार को पारम्परिक तरीके से मनाया जाता है। इस दिन पर लोक व्यंजन जैसे आलू पितिका, जाक और मसोर टेंगा बनाया जाता है और सब मिलकर भोज करते हैं। इसी के साथ पहली फसल अपने आराध्य देव को अर्पित की जाती है और यह कामना की जाती है कि आने वाले समय में भी अच्छी फसल पैदा हो।
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बढ़ती है खेत की उर्वरता
उरुका के दिन लोग बांस, पत्तियों और छप्पर की मदद से एक झोपड़ी तैयार करते हैं, जिन्हें मेजी कहा जाता है। इस मेजी में दावत के लिए भोजन तैयार किया जाता है और रात में सामुदायिक भोज का आनंद लिया जाता है। अगली सुबह इस मेजी को जला दिया जाता है और इसकी राख को खेतों में बिखेर दिया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से खेत की उर्वरता बढ़ती है।
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