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    Pongal 2025: बहुत ही खास होते हैं पोंगल के 4 दिन, इस पर्व का फसल से गहरा है नाता

    Updated: Mon, 13 Jan 2025 11:35 AM (IST)

    पोंगल (Pongal 2025) तमिल नववर्ष के रूप में बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की इस घटना को दक्षिण भारत में पोंगल के उत्सव के रूप में मनाया जाता है जो चार दिनों तक चलता है। ऐसे में चलिए जानते हैं पोंगल का शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

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    Pongal 2025 कैसे मनाया जाचा है पोंगल?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पोंगल पर्व का संबंध फसल से संबंधित भी होता है। असल में यह पर्व फसल की कटाई और संपन्नता के प्रतीक का उत्सव भी है। इस पर्व को लेकर लोगों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। लोग अपने घर के बाहर रंगोली बनाते हैं। साथ ही सूर्यदेव को खेत में उगी चीजों का सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है।

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    पोंगल शुभ मुहूर्त

    साल 2025 में पोंगल पर्व की शुरुआत, मंगलवार, 14 जनवरी से होने जा रही है। इस दिन संक्रांति का क्षण विशेष महत्व रखता है। ऐसे में इस दिन शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

    थाई पोंगल संक्रांति का क्षण - सुबह 09 बजकर 03 मिनट तक

    कैसे मनाते हैं पोंगल

    1. भोगी पोंगल - पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और इंद्र देव की पूजा अर्चना करते हैं। वहीं

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    2. थाई पोंगल - थाई पोंगल  (Thai Pongal 2025), पोंगल के दूसरे दिन मनाया जाता है, जिसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और यह कामना की जाती है कि फसल की पैदावार अच्छी हो। इस दिन नई फसल के चावलों को उबालकर खीर भी बनाई जाती है।

    3.  मट्टू पोंगल - पोंगल का तीसरा दिन मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। फसल की अच्छी पैदावार में मवेशियों का भी विशेष योगदान होता है, इसलिए मट्टू पोंगल के दिन मवेशियों (जानवरों) को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

    4. कानुम पोंगल - यह पोंगल का अंतिम दिन होता है। इस दिन को कन्नुम नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गन्ने, दूध, चावल, घी आदि चीजों से पकवान बनाकर सूर्यदेव को इसका भोग लगाया जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।