Zodiac Signs: ज्येष्ठ महीने में खुशियों से भर जाएगा इन राशियों का जीवन, फंसा हुआ पैसा मिलेगा वापस
मंगलवार का दिन राम भक्त हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है। साथ ही हनुमान जी के निमित्त मंगलवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन खुशियों से भर जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ का महीना बेहद खास रहने वाला है। इस महीने में कई ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। इनमें देवगुरु बृहस्पति, आत्मा के कारक सूर्य और मायावी ग्रह राहु एवं केतु शामिल हैं। वहीं, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में सुखों के कारक शुक्र देव मेष राशि में गोचर करेंगे। इसके साथ ही चंद्र देव भी अपनी स्थिति नियमित अंतराल पर बदलते रहेंगे।
ज्योतिषियों की मानें तो गुरु, सूर्य, राहु और केतु के राशि परिवर्तन से सभी राशियों पर भाव अनुसार प्रभाव पड़ेगा। वहीं, चंद्र देव के राशि परिवर्तन से इन राशि के जातकों को जीवन में बदलाव देखने को मिल सकता है। आइए, इन राशियों के बारे में जानते हैं-
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तुला राशि
ज्येष्ठ महीने के पहले दिन ही तुला राशि के जातकों को कोई बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। इस राशि पर शनिदेव की असीम कृपा रहती है। वहीं, चंद्र देव की भी कृपा तुला राशि पर बरसेगी। उनकी कृपा से सभी बिगड़े काम बन सकते हैं। साथ ही करियर या कारोबार संबंधी परेशानी दूर होगी। ऐसा भी हो सकता है कि आपका फंसा हुआ पैसा आपको वापस मिल सकता है। इससे मन प्रसन्न रहेगा। घर में खुशियों का माहौल रहेगा। नकारात्मक विचारों का अंत होगा। निवेश या कुछ नया करने की सोच सकते हैं।
मकर राशि
ज्येष्ठ महीने में मकर राशि के जातकों को भी कोई बड़ा शुभ समाचार मिल सकता है। काम में गति आएगी। किसी अजनबी शख्स से मुलाक़ात होने से फ्यूचर की प्लानिंग कर सकते हैं। ऊर्जा से आप लबरेज रहेंगे। बड़े भाई से प्यार और स्नेह मिलेगा। वहीं, बड़ी बहन से भी कोई उपहार मिल सकता है। कोई मन्नत ज्येष्ठ महीने में पूरी होने वाली है। इससे घर में खुशियों का माहौल रहेगा। जीवन में सुख और शांति के लिए ज्येष्ठ महीने में जल का दान करें। राहगीरों के मध्य शरबत वितरित करें। करियर और कारोबार में लाभ के लिए रोजना सूर्य देव को जल अर्पित करें। साथ ही इन मंत्रों का पाठ करें।
मंत्र
1. जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।
2. ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।
3. ॐ नीलकंठाय विष्णवे महादेवाय च
4. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
5. करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं।
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