क्यों भगवान शिव ने 19 सालों तक शनिदेव को पीपल के पेड़ से उल्टा लटकाकर रखा था
स्कंद पुराण के अनुसार, जब शनिदेव को अहंकार हो गया और उन्होंने भगवान शिव को चुनौती दी, तो महादेव ने उन्हें कर्म और मर्यादा का पाठ पढ़ाने का ...और पढ़ें

महादेव ने क्यों दी थी शनिदेव को सजा? (Image Source: AI-Generated)

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धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर शनिदेव का नाम आते ही लोग भयभीत हो जाते हैं, लेकिन वास्तव में शनिदेव कोई डराने वाले देवता नहीं, बल्कि कर्मों का फल देने वाले निष्पक्ष दंडाधिकारी हैं। उन्हें न्याय की यह शक्ति और पद स्वयं महादेव से प्राप्त हुआ था। लेकिन, इसके पीछे एक अत्यंत रोचक कथा है।
अहंकार और शक्ति का टकराव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यपुत्र शनि को बचपन से ही अपार शक्तियां प्राप्त थीं। जब सूर्यदेव ने अपने पुत्रों के बीच लोकों का बंटवारा किया, तो शनिदेव को अपनी शक्ति पर अहंकार हो गया। वे अपनी योग्यता और बल के मद में इतने चूर थे कि उन्होंने अन्य लोकों पर भी जबरन अधिकार कर लिया। पुत्र के इस अनुचित व्यवहार से विचलित होकर सूर्यदेव महादेव की शरण में पहुँचे और उनसे सहायता मांगी।
महादेव और शनिदेव का युद्ध
स्कंद पुराण के काशी खंड के अनुसार, जानते हैं क्यों भगवान शिव ने शनिदेव को दी यह कठोर सजा? महादेव ने पहले अपने गणों को शनिदेव को समझाने भेजा, लेकिन शनिदेव के अहंकार ने उन्हें युद्ध के लिए विवश कर दिया। उन्होंने शिव गणों को परास्त कर दिया। अंततः स्वयं भगवान शंकर युद्ध भूमि में आए। कहते हैं कि उस समय शनिदेव ने अपनी 'मारक दृष्टि' महादेव पर डालनी चाही। तब महादेव ने अपना तीसरा नेत्र खोला, जिसकी प्रचंड ज्वाला से शनिदेव का अहंकार क्षण भर में भस्म हो गया और वे पराजित हो गए।

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19 वर्षों की कठोर सजा
शनिदेव को उनके कर्मों का दंड देने और धैर्य सिखाने के लिए महादेव ने उन्हें उनके पैरों से पकड़कर एक पीपल के पेड़ से उल्टा लटका दिया। शनिदेव इसी अवस्था में पूरे 19 वर्षों तक लटके रहे। लेकिन यह केवल सजा नहीं थी, बल्कि एक परीक्षा और साधना भी थी। इन 19 वर्षों तक शनिदेव ने उसी पीपल के पेड़ से लटके हुए महादेव का निरंतर ध्यान और कठिन तपस्या की। यही कारण है कि ज्योतिष शास्त्र में शनि की महादशा 19 वर्षों की मानी जाती है।
दंडाधिकारी का पद
शनिदेव की तपस्या और प्रायश्चित से महादेव प्रसन्न हुए। उन्होंने शनिदेव को मुक्त किया और उन्हें ब्रह्मांड का 'मुख्य न्यायाधीश' (दंडाधिकारी) नियुक्त किया। महादेव ने उन्हें वरदान दिया कि वे प्राणियों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का फल देंगे और निष्पक्ष होकर न्याय करेंगे। साथ ही, पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर की गई तपस्या के कारण ही आज भी शनिवार को पीपल की पूजा करने से शनि दोष शांत होता है।
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