भगवान गणेश ने क्यों तोड़ा था धन कुबेर का घमंड, पूरा सच यहां जानें
धन के अभिमान में चूर कुबेर ने भगवान शिव और माता पार्वती को भोज पर बुलाया, लेकिन उनकी जगह बाल गणेश पहुंचे। इसके बाद गणेश जी ने कैसे कुबेर का सारा धन और ...और पढ़ें

भगवान गणेश और धन कुबेर की कथा (AI-generated)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और विनम्रता का प्रतीक माना जाता है। वहीं, कुबेर देवता को धन और वैभव का स्वामी कहा गया है। लेकिन, एक समय ऐसा भी आया जब धन के अभिमान में चूर कुबेर देवता का घमंड भगवान गणेश ने चूर-चूर कर दिया। यह प्रसंग शिव पुराण और स्कंद पुराण में वर्णित मिलता है।
कथा के अनुसार, कुबेर देवता के पास अपार धन था जिसकी वजह से वह अपने धन और ऐश्वर्य पर बहुत गर्व करने लगे। उन्हें लगने लगा कि उनके समान धनवान कोई नहीं है। इसी घमंड में आकर उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती को कैलाश पर्वत पर भव्य भोज का निमंत्रण दिया। उनका उद्देश्य था अपने वैभव का प्रदर्शन करना। भगवान शिव कुबेर के मन का भाव समझ गए। उन्होंने स्वयं जाने से इनकार कर दिया और कहा कि उनकी ओर से बाल गणेश भोज में जाएंगे। कुबेर को लगा कि एक बालक कितना ही भोजन कर पाएगा, इसलिए वह निश्चिंत हो गए।
जब गणेश भगवान पहुंचे कुबेर देव के महल
जब गणेश जी कुबेर के महल पहुंचे, तो कुबेर ने उनके लिए स्वादिष्ट व्यंजनों का ढेर लगवा दिया। लेकिन, जैसे-जैसे गणेश जी भोजन करते गए, उनकी भूख बढ़ती ही गई। उन्होंने एक के बाद एक सभी पकवान खा लिए। फिर भी उनकी भूख शांत नहीं हुई।
इसके बाद भगवान गणेश ने कहा कि अब भोजन कम पड़ रहा है। कुबेर घबरा गए और पूरे नगर का भोजन मंगवाया गया, लेकिन सब व्यर्थ गया। अंत में जब इसके बावजूद उनकी भूख शांत नहीं हुई तो उन्होंने कुबेर के महल का पूरा वैभव, धन और भंडार तक खाना शुरू कर दिया। देखते-देखते कुबेर पूरी तरह खाली हो गए।
माता पार्वती ने कुबेर देव को क्या उपाय दिया
अंत में, घबराए कुबेर भगवान शिव और माता पार्वती के पास पहुंचे और क्षमा याचना की। माता पार्वती ने उन्हें एक साधारण सा भुना चावल दिया। जब वह चावल गणेश जी को अर्पित किया गया, तो उनकी भूख तुरंत शांत हो गई। तब भगवान गणेश ने कुबेर को समझाया कि धन का उपयोग सेवा और धर्म के लिए होना चाहिए, न कि घमंड के लिए। कुबेर को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने विनम्रता से क्षमा मांगी।
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