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    Shattila Ekadashi 2026 Date: नए साल में कब है षटतिला एकादशी? यहां पढ़ें तिथि और शुभ मुहूर्त

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 11:00 AM (IST)

    एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शुभ मानी जाती है। वहीं, अब कुछ ही दिनों में नए साल की शुरुआत होन ...और पढ़ें

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    Shattila Ekadashi 2026: षटतिला एकादशी का धार्मिक महत्व 

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सभी तिथि में एकादशी को विशेष महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों का दान मंदिर या गरीब लोगों में किया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर षटतिला एकादशी व्रत (Shattila Ekadashi 2026) किया जाता है।

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    धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त और अन्य जानकारी।

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    षटतिला एकादशी 2026 डेट और टाइम (Shattila Ekadashi 2026 Date and Time)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 13 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी। वहीं, तिथि का समापन 14 जनवरी को शाम 05 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में 14 जनवरी को षटतिला एकादशी व्रत किया जाएगा और 15 जनवरी को व्रत का पारण किया जाएगा।

    षटतिला एकादशी 2026 व्रत पारण का टाइम (Shattila Ekadashi 2026 Vrat Paran Time)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, षटतिला एकादशी व्रत का पारण 15 जनवरी को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 21 मिनट तक है। इस दौरान किसी भी समय व्रत का पारण कर सकते हैं।

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक
    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 15 मिनट से 02 बजकर 57 मिनट तक
    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक
    निशिता मुहूर्त - 15 जनवरी को रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक

    व्रत के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

    • एकादशी व्रत के दौरान अन्न-चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • तुलसी के पत्ते को न तोड़ें।
    • किसी से वाद-विवाद न करें।
    • घर और मंदिर की साफ-सफाई का ध्यान रखें, क्योंकि साफ-सफाई वाली जगह पर ही मां लक्ष्मी वास करती हैं।
    • व्रत का पारण करने के बाद विशेष चीजों का दान करें। ऐसा माना जाता है कि द्वादशी तिथि पर दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं और जीवन में कोई कमी नहीं होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।