Kumbh Mela: कब और कहां होगा अगले कुंभ मेले का आयोजन, यहां जानें सही डेट
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाकुंभ के दौरान गंगा स्नान करने से साधक को अक्षय फलों की प्राप्ति हो सकती है। कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में चार अलग-अलग स्थानों पर होता है जिसमें प्रयागराज हरिद्वार उज्जैन और नासिक शामिल हैं। ऐसे में चलिए पंडित गिरीश व्यास जी से जानते हैं कि अगला कुंभ कब और कहां होने जा रहा है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कुंभ आयोजन की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई मानी जाती है। साल 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ (Maha kumbh 2025) का आयोजन हुआ था। यह कुंभ स्नान 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक चला था। इस दौरान लाखों भक्तों ने त्रिवेणी संगम में स्नान का सौभाग्य प्राप्त किया। न केवल देश बल्कि विदेश के लोगों ने भी इस कुंभ आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लिया था।
कब लगेगा अगला कुंभ
प्रयागराज के बाद अगला पूर्ण कुंभ 2028 में उज्जैन में होगा। जो 27 मार्च 2028 से 27 मई 2028 तक चलने वाला है। सिंहस्थ का संबंध सिंह राशि से है। सिंह राशि में बृहस्पति एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर उज्जैन में कुंभ का आयोजन होता है।
प्रमुख स्नान तिथियां (शाही स्नान और पर्व स्नान)
- 22 अप्रैल 2028 (शुक्रवार) – पूर्णिमा (पहला स्नान)
- 6 मई 2028 (शुक्रवार) – वैशाख कृष्ण अमावस्या
- 9 मई 2028 (सोमवार) – अक्षय तृतीया (दूसरा स्नान)
- 11 मई 2028 (बुधवार) – शुक्ल पंचमी
- 17 मई 2028 (शनिवार) – एकादशी एवं प्रदोष स्नान
- 21 मई 2028 (शनिवार) – पूर्णिमा (समापन स्नान)
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क्या है पौराणिक कथा (Mahakumbh katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार अमृत प्राप्ति की इच्छा देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ। मंथन के दौरान कई तरह के रत्न उत्पन्न हुए और अंत में अमृत उत्पन्न हुआ। अमृत पाने की इच्छा के चलते देवताओं और असुरों के बीच युद्ध छिड़ गया। इसी बीच अमृत की कुछ बूंदें 4 स्थानों पर गिर गई, जिसमें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक शामिल हैं। इन्ही चार स्थानों पर हर 12 साल के अंतराल में कुंभ का आयोजन किया जाता है।
(Picture Credit: PTI)
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कुंभ स्नान का महत्व
हिंदू धर्म में कुंभ स्नान को एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि जो भी साधक पूरी श्रद्धा के साथ कुंभ में स्नान करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और उसके लिए मोक्ष के द्वार खुलते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ स्नान करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल मिलता है।
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