Krishna Morpankh: कुंडली में इस दोष के कारण श्री कृष्ण धारण करते थे मोर पंख
हिंदू धर्म में श्री कृष्ण जी को भगवान विष्णु का ही अवतार माना गया है। ऐसे में मोर पंख का नाम सुनते ही सबसे पहले आखों के सामने भगवान श्री कृष्ण की छवि ही प्रस्तुत होती है। भगवान श्री कृष्ण अपने सिर पर मोर पंख धारण करते थे जो केवल शृंगार का काम नहीं करता बल्कि इसके अन्य कारण भी मौजूद हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shri Krishna Mor Pankh: भगवान श्री कृष्ण का शृंगार बहुत ही अनूठा है। श्री कृष्ण द्वारा धारण की गए प्रत्येक शृंगार का अपना एक खास महत्व माना गया है। आपने भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर में उन्हें अपने सिर पर मोर पंख धारण करते हुए देखा होगा। इसके पीछे भी एक नहीं बल्कि कई खास वजह मानी जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं इसका कारण।
कुंडली में था यह दोष
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली में कालसर्प दोष था। मोर और सांप एक दूसरे के दुश्मन माने जाते हैं। ऐसे में यह माना जाता है कि मोर पंख धारण करने से कालसर्प दोष दूर हो सकता है। इसी कारण से भगवान श्री कृष्ण अपने सिर पर मोर पंख धारण किया करते थे।
यह भी है कारण
राधा रानी को भगवान कृष्ण की प्रेमिका के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार जब कृष्ण जी बांसुरी बजा रहे थे, तब राधा रानी उसपर नृत्य कर रहीं थी। तभी उनके साथ बासुरी की धुन पर मोर भी नाचने लगे। नाचते समय एक मोर का पंख नीचे गिर गया, जिसे श्री कृष्ण ने उठाकर अपने माथे पर सजा लिया। श्री कृष्ण ने इस मोरपंख को राधा के प्रेम का प्रतीक माना। मान्यता है कि तभी से वह अपने सिर पर मोरपंख सजाते आ रहे हैं।
यह भी पढ़ें - Holi 2024: देश के इन मंदिरों में मनाएं होली का पर्व, भक्ति में हो जाएंगे सराबोर
मिलता है ये संदेश
भगवान श्री कृष्ण द्वारा मोर पंख धारण करने के पीछे एक खास संदेश भी छिपा हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्री कृष्ण के बड़े भाई यानी बलराम जी शेषनाग के अवतार थे। वहीं, मोर और नाग एक दूसरे के दुश्मन होते हैं, लेकिन कृष्ण जी के माथे पर लगा मोरपंख यह संदेश देता है कि वह शत्रु को भी विशेष स्थान दिया जाना चाहिए।
मोर पंख से मिलने वाला एक संदेश यह भी है कि मोर पंख में कई रंग पाए जाते हैं, जो इस बात का संदेश देते हैं कि जीवन में भी मोरपंख की भांति ही सुख और दुख के रंग होते हैं। क्योंकि जीवन में हर रंग अर्थात हर अवस्था का होना जरूरी है।
WhatsApp पर हमसे जुड़ें. इस लिंक पर क्लिक करें
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।